Pita ke patra Kitab(written by jawaharlalNehru) se hume kya sikh milti hai
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पिता के पत्र - जवाहरलाल नेहरू
जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखित ‘पिता के पत्र’ पुस्तक से हमें ये सीख मिलती है कि पत्र अनमोल होते हैं। पत्र हमारी स्मृतियों को सहेजकर रखते हैं। पत्र हमारी यादों का एक दस्तावेज होते हैं। पत्र से हमारी भावनायें जुड़ी होती है। जवाहरलाल नेहरू ने जो भी पत्र अपनी पुत्री इंदिरा को तब लिखे जब वो मात्र दस वर्ष की थी और नेहरू इंदिरा से दूर थे। ये पत्र आज भी एक ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप प्रसिद्ध हैं। आज भी कई लोग उन पत्रों को पढ़कर प्रेरणा पाते हैं। उपरोक्त पुस्तक में इन्हीं पत्रों का संग्रह है।
नेहरूजी के समय में मोबाइल या इंटरनेट तो था नही। टेलीफोन भी अधिक प्रचलित नही था। ऐसे में किसी दूरस्थ स्थान पर बैठे अपने मित्र या प्रियजन से जुड़ने का एकमात्र साधन पत्र ही थे। सोचिये उस जमाने में अगर आज की तरह के संचार के आधुनिक साधन होते तो क्या नेहरू इंदिरा को यूं ही पत्र लिखते? तब हो सकता है हम इस अनमोल धरोहर से वंचित रह जाते। आधुनिक समय के संचार के साधनों एसएसएस, ई-मेल आदि में वो बात कहां जो पहले अपने किसी प्रियजन को पत्र लिखने में होती थी।