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8. वन और वन्य जीव संरक्षण में स्थानीय लोगों की भागीदारी के महत्त्व पर प्रकाश डालें।
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उत्तर: भारत में वन और वन्य जीव संरक्षण में रीति रिवाजों का बड़ा सहयोग रहा है। हिंदू धर्म और कई आदिवासी समुदायों में प्रकृति की पूजा की पुरानी परंपरा रही है। हिंदू धर्म में हनुमान की पूजा होती है जो प्राणिजात की महत्व को दर्शाता है। हमारे यहाँ कई रस्मों में पीपल और आम के पेड़ की पूजा की जाती है। इससे पता चलता है कि लोग सदा से वृक्षों को पवित्र मानते रहे हैं। इसका ये भी मतलब है कि प्राचीन काल से ही लोग हमारे जीवन के लिये पेड़ों के महत्व को समझते थे। आदिवासी लोग तो जंगलों में पवित्र पेड़ों के झुरमुट को मानव गतिविधियों से अनछुआ रखते हैं। गाँवों में अभी भी त्योहारों के अवसर पर पशुओं की पूजा की जाती है। ऐसी परंपरा पशुओं के महत्व को मानने और समझने को दिखाती है। राजस्थान का बिश्नोई समाज काले हिरण के संरक्षण के लिये किसी भी हद तक जा सकता है। शायद यही कारण है कि आज भी दूर दराज के गाँवों; खासकर जो वनों के निकट हैं; वनों को स्थानीय लोगों द्वारा भी संरक्षण मिलता है। इससे वन विभाग का काम भी आसान हो जाता है।
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