Hindi, asked by nambiaruma68, 1 month ago

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Answered by aditiv710
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राष्ट्रीय युवा महोत्सव को लेकर महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय संस्कृति, खान-पान और सभ्यता के आदान-प्रदान का केंद्र ¨बदु बन गया है। यहां न केवल भारत के कोने-कोने से कलाकार संस्कृति का आदान-प्रदान कर रहे हैं बल्कि विदेशी भी एक-दूसरे के साथ अपनी संस्कृति व अनुभवों को साझा कर रहे हैं। मेहमानों को रोहतक की मेहमानवाजी खूब भा गई है। कई कलाकारों ने तो कहा कि वे इस महोत्सव को कभी नहीं भूला पाएंगे। इसका कारण यहां हुए आतिथ्य सत्कार, प्रबंधन तथा कार्यक्रमों का बेहतर आयोजन बताया जा रहा है।

राष्ट्रीय युवा महोत्सव को लेकर महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय संस्कृति, खान-पान और सभ्यता के आदान-प्रदान का केंद्र ¨बदु बन गया है। यहां न केवल भारत के कोने-कोने से कलाकार संस्कृति का आदान-प्रदान कर रहे हैं बल्कि विदेशी भी एक-दूसरे के साथ अपनी संस्कृति व अनुभवों को साझा कर रहे हैं। मेहमानों को रोहतक की मेहमानवाजी खूब भा गई है। कई कलाकारों ने तो कहा कि वे इस महोत्सव को कभी नहीं भूला पाएंगे। इसका कारण यहां हुए आतिथ्य सत्कार, प्रबंधन तथा कार्यक्रमों का बेहतर आयोजन बताया जा रहा है।रूस से आई विदेशी कलाकार ओलेना कहती हैं कि महोत्सव का अनुभव अविस्मरणीय हैं। उन्होंने कहा कि यहां परोसा जाने वाला भोजन उन्हें स्पाइसी लगा ¨कतु आतिथ्य सत्कार काबिल-ए-तारीफ है। कलाकारों के ठहरने आदि की व्यवस्था से वे पूर्णरूप से संतुष्ट नजर आई। यूएसए के युवा कलाकार एदुरादोसिल्वा कहते हैं कि यह ऐसा आयोजन है जो सबको एक-दूसरे से जोड़ने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि ¨हदुस्तान ही नहीं अपितु विदेशी मेहमानों के साथ भी आपसी प्रेम व भाईचारे को बढ़ावा मिल रहा है जो बेहद खुशी की बात है।

लोकनृत्य की प्रस्तुति देने आई हरियाणवी कलाकार श्रुति व प्रीति कहती हैं कि उन्हें राष्ट्रीय युवा महोत्सव में ¨हदुस्तान के विभिन्न राज्यों से आये कलाकारों के साथ-साथ अन्य देशों से आये कलाकारों से भी रू-ब-रू होने का मौका मिला है। इससे उन्हें आपसी संस्कृति एवं रहन-सहन के आदान-प्रदान का अवसर भी मिला है। उन्होंने कहा कि वेश-भाषा भले ही अलग हैं ¨कतु हर कोई प्रेम, सद व्यवहार, भाईचारे का संदेश दे रहे हैं। इसमें कलाकार भी पीछे नहीं है। सभी कलाकार एकजुट होकर अपनी कला से दर्शकों को सम्मोहित करते हुए अमिट छाप छोडऩे को प्रयासरत हैं।

लोकनृत्य की प्रस्तुति देने आई हरियाणवी कलाकार श्रुति व प्रीति कहती हैं कि उन्हें राष्ट्रीय युवा महोत्सव में ¨हदुस्तान के विभिन्न राज्यों से आये कलाकारों के साथ-साथ अन्य देशों से आये कलाकारों से भी रू-ब-रू होने का मौका मिला है। इससे उन्हें आपसी संस्कृति एवं रहन-सहन के आदान-प्रदान का अवसर भी मिला है। उन्होंने कहा कि वेश-भाषा भले ही अलग हैं ¨कतु हर कोई प्रेम, सद व्यवहार, भाईचारे का संदेश दे रहे हैं। इसमें कलाकार भी पीछे नहीं है। सभी कलाकार एकजुट होकर अपनी कला से दर्शकों को सम्मोहित करते हुए अमिट छाप छोडऩे को प्रयासरत हैं।सोनीपत से आई कलाकार चंचल व नताशा के अनुसार युवा महोत्सव हर किसी पर अमिट छाप छोड़ता नजर आ रहा है। चंचल का कहना है कहा कि वे कुछ दूसरे देशी-विदेशी कलाकारों से सीख रही हैं तो कुछ उन्हें सिखा रही हैं। नताशा कहती है कि विदेशी मेहमानों के साथ मेलजोल बढ़ाने में भाषा कोई बाधा उत्पन्न नहीं कर पा रही, क्योंकि संगीत की अपनी ही अलग भाषा होती है। वहीं प्रियंका, सुनीता तथा पंजाब से आए जसमेर ¨सह कहते हैं कि महोत्सव राष्ट्रीय एकता का संदेश प्रदान करता प्रतीत हो रहा है, जिसमें अनेकता व विविधता में एकता की स्पष्ट तस्वीर उभर रही है।

लोकनृत्य की प्रस्तुति देने आई हरियाणवी कलाकार श्रुति व प्रीति कहती हैं कि उन्हें राष्ट्रीय युवा महोत्सव में ¨हदुस्तान के विभिन्न राज्यों से आये कलाकारों के साथ-साथ अन्य देशों से आये कलाकारों से भी रू-ब-रू होने का मौका मिला है। इससे उन्हें आपसी संस्कृति एवं रहन-सहन के आदान-प्रदान का अवसर भी मिला है। उन्होंने कहा कि वेश-भाषा भले ही अलग हैं ¨कतु हर कोई प्रेम, सद व्यवहार, भाईचारे का संदेश दे रहे हैं। इसमें कलाकार भी पीछे नहीं है। सभी कलाकार एकजुट होकर अपनी कला से दर्शकों को सम्मोहित करते हुए अमिट छाप छोडऩे को प्रयासरत हैं।सोनीपत से आई कलाकार चंचल व नताशा के अनुसार युवा महोत्सव हर किसी पर अमिट छाप छोड़ता नजर आ रहा है। चंचल का कहना है कहा कि वे कुछ दूसरे देशी-विदेशी कलाकारों से सीख रही हैं तो कुछ उन्हें सिखा रही हैं। नताशा कहती है कि विदेशी मेहमानों के साथ मेलजोल बढ़ाने में भाषा कोई बाधा उत्पन्न नहीं कर पा रही, क्योंकि संगीत की अपनी ही अलग भाषा होती है। वहीं प्रियंका, सुनीता तथा पंजाब से आए जसमेर ¨सह कहते हैं कि महोत्सव राष्ट्रीय एकता का संदेश प्रदान करता प्रतीत हो रहा है, जिसमें अनेकता व विविधता में एकता की स्पष्ट तस्वीर उभर रही है।तंजानिया से विदेशी कलाकार मेहमान मुत्तापालिस और कीनिया से आए भतिजांगू कहते हैं कि कला की कोई सीमा नहीं होती। यह बात राष्ट्रीय युवा महोत्सव ने सिद्ध कर दी है। उन्होंने कहा कि देशी कलाकारों के साथ बॉलीवुड गीतों पर थिरकते हुए बेहतरीन तालमेल बन गया है। उनकी कला को निखारने में देशी कलाकार खूब सहयोग दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे इस प्रकार के कार्यक्रमों में बार-बार ¨हदुस्तान आना चाहेंगे। उन्होंने आशा जताई कि देशी कलाकारों के साथ-साथ दर्शकगण विदेशी कलाकारों को भी खूब पसंद करेंगे। उन्होंने दावा किया कि वे भारतीय दर्शकों को निराश नहीं करेंगे।

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