Hindi, asked by amandeep1975agra, 10 months ago

Plastic abhishap hain ya vardan par debate

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Answered by kinghappy
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Answer:

जिस समय प्लास्टिक चलन में आयी थी तो लोगों को प्लास्टिक की थैली वरदान से कम नहीं लगती थी। लेकिन आज इसके जो दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं उससे यही साबित हो रहा है कि यह अभिशाप बन गयी है। आज प्लास्टिक व पॉलीथिन पर्यावरण एवं प्राणी जीवन के लिए एक बहुत बड़ी समस्या बन गयी है। सर्वाधिक नुकसान तो पॉलीथिन की थैलियों से हुआ है। इससे पशुओं को नुकसान प्रचुर मात्रा में हो रहा है। हम पॉलीथिन के बैग में सामान लाते हैं और फिर उसे कूड़े के ढेर में फेंक देते हैं। इसे जानवर खा जाते हैं और इससे उनकी मौत तक हो जाती है। पॉलीथिन को जलाने से कार्बन डाईऑक्साइड जैसी विषैली गैस उत्सर्जित होती है। इससे तमाम बीमारियां पैदा होती है। इससे निकलने वाला हाइड्रो कार्बन कैंसर जैसी बीमारी को प्रश्रय देता है। पॉलीथिन के दुष्प्रभाव से एक वर्ष में ही लाखों जीवों की मौत हो जाती है। ओजोन की परत में छेद होने के मुख्य कारण प्लास्टिक को ही माना जा रहा है। अब प्लास्टिक का बहिष्कार करने का समय आ गया है अन्यथा प्रकृति विनाश की ओर बढ़ती चली जाएगी।

Explanation:

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Answered by Anonymous
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हमारे देश में एक तरफ प्लास्टिक का कूड़ा बहुत ज्यादा मात्रा में इकट्ठा है, वहीं देश में सडक़ निर्माण का कार्य भी अधूरा है। बहुत से ऐसे स्थान हैं, जहां जाने के लिए सडक़ें नहीं और और यदि सडक़ें हैं भी तो उनकी स्थिति बदतर है। अत: प्लास्टिक को पुनर्चक्रित करके हम देश की सडक़ों को मजबूत बना सकते हैं और उससे बनी टाइल्स का प्रयोग करके जगह-जगह पर शौचालयों का निर्माण भी आसानी से कर सकते हैं, जिससे हम अभिशाप बन रहे प्लास्टिक को स्वच्छता हेतु वरदान की तरह प्रयोग में ला सकते हैं।हम सभी स्वच्छ भारत मिशन पर कार्य कर रहे हैं, पूरे देश में इसकी गतिविधियां चलाई जा रही हैं, लेकिन तब भी देश हमारी आशाओं एवं अपेक्षाओं के अनुरूप स्वच्छ नहीं हो पा रहा है। तरह-तरह का कचरा एवं गंदगी देश में निरंतर बढ़ते जा रहे हैं। यदि एक घर में दस लोग हों, जिनमें से नौ लोग घर को अस्त-व्यस्त करें और एक व्यक्ति उसे साफ करें, तो फिर उस घर को स्वच्छ व व्यवस्थित कर पाना उस एक व्यक्ति के लिए मुश्किल हो जाएगा, यही स्थिति हमारे देश की है। हमारे देश में कचरा फैलाने वाले लोग अधिक हैं और उसे समेटने वाले लोग कम हैं, इसी कारण कचरा एवं गंदगी निरंतर बढ़ते जा रहे हैं। यदि शहरों की स्थिति देखें तो जगह-जगह नालियों में गंदा पानी इकट्ठा है, जिनमें प्लास्टिक, सड़ा-गला सामान पड़ा है,उसका समुचित प्रबंधन करके उससे देश को समृद्ध बनाया जा सकता है, पर इसके लिए आज से ही उचित कदम उठाने की आवश्यकता है। यदि हममें से प्रत्येक व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी समझकर यह शुरुआत करें तो ऐसा कर पाना सहजता से संभव है।

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