plastic ki duniya anuchade in hindi
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आज प्लास्टिक थैलियाँ या कैरी बैग्स का प्रयोग इतनी अधिक मात्रा में हो रहा है कि सारे विश्व में एक साल में दस खरब प्लास्टिक थैलियाँ काम में लेकर फेक दी जाती है. अकेले जयपुर में रोजाना पैंतीस लाख लोग प्लास्टिक का कचरा बिखेरते है. और सत्तर टन प्लास्टिक का कचरा सड़को नालियों तथा खुले वातावरण में फैलता है.
केन्द्रीय पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड के एक अध्ययन के अनुसार एक व्यक्ति प्रतिदिन छ से सात किलो तक का प्लास्टिक कचरा फैकता है. इस प्लास्टिक कचरे से नालियाँ बंद हो जाती है. धरती की उर्वरा शक्ति समाप्त हो जाती है. भूगर्भ का अमृत जैसा पेय जल अपेय हो जाता है. रंगीन प्लास्टिक थैलियो से कैंसर जैसे असाध्य रोग हो जाते है. तथा लाखों गायों की अकाल मौत हो जाती है. पुरे राजस्थान में प्लास्टिक उत्पाद -निर्माण की तेरह सौ इकाईया कार्यरत है, तो इस हिसाब से पूरे देश में कितनी होगी, यह एक सहज अनुमान का विषय है. इससे वर्तमान में प्लास्टिक कचरे का रोक पाना कठिन प्रतीत हो रहा है.
प्लास्टिक थैलियों से पर्यावरण प्रदूषण (harmful effects of plastic in hindi)
पर्यावरण विज्ञानियों ने प्लास्टिक के बीस माइक्रोन या इससे पतले उत्पाद को पर्यावरण के बहुत घातक बताया है. ये थैलियाँ मिटटी में दबने से फसलों के लिए उपयोगी कीटाणुओं को मार देती है. इन थैलियों के प्लास्टिक में पाँली विनाइल क्लोराइड होता है, जो भूमि में दबे रहने से भूजल को जहरीला बना देता है.
बारिश में प्लास्टिक के कचरे से दुर्गन्ध आती है. नदी नाले अवरुद्ध होने से बाढ़ की स्थति पैदा हो जाती है. हवा में प्रदुषण फैलने से अनेक असाध्य रोग हो जाते है. कैंसर का खतरा बढ़ जाता है प्लास्टिक कचरा खाने से गाय आदि पशुओं की जाने चली जाती है. इस तरह प्लास्टिक थैलियों से पर्यावरण को हानि पहुचती है. Say No To Plastic Bags की पद्दति का अनुसरण करना होगा, ताकि इस बड़ी समस्या से हमारे पर्यावरण को बचाया जा सके.
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आज प्लास्टिक थैलियाँ या कैरी बैग्स का प्रयोग इतनी अधिक मात्रा में हो रहा है कि सारे विश्व में एक साल में दस खरब प्लास्टिक थैलियाँ काम में लेकर फेक दी जाती है. अकेले जयपुर में रोजाना पैंतीस लाख लोग प्लास्टिक का कचरा बिखेरते है. और सत्तर टन प्लास्टिक का कचरा सड़को नालियों तथा खुले वातावरण में फैलता है.
केन्द्रीय पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड के एक अध्ययन के अनुसार एक व्यक्ति प्रतिदिन छ से सात किलो तक का प्लास्टिक कचरा फैकता है. इस प्लास्टिक कचरे से नालियाँ बंद हो जाती है. धरती की उर्वरा शक्ति समाप्त हो जाती है. भूगर्भ का अमृत जैसा पेय जल अपेय हो जाता है. रंगीन प्लास्टिक थैलियो से कैंसर जैसे असाध्य रोग हो जाते है. तथा लाखों गायों की अकाल मौत हो जाती है. पुरे राजस्थान में प्लास्टिक उत्पाद -निर्माण की तेरह सौ इकाईया कार्यरत है, तो इस हिसाब से पूरे देश में कितनी होगी, यह एक सहज अनुमान का विषय है. इससे वर्तमान में प्लास्टिक कचरे का रोक पाना कठिन प्रतीत हो रहा है.
प्लास्टिक थैलियों से पर्यावरण प्रदूषण (harmful effects of plastic in hindi)
पर्यावरण विज्ञानियों ने प्लास्टिक के बीस माइक्रोन या इससे पतले उत्पाद को पर्यावरण के बहुत घातक बताया है. ये थैलियाँ मिटटी में दबने से फसलों के लिए उपयोगी कीटाणुओं को मार देती है. इन थैलियों के प्लास्टिक में पाँली विनाइल क्लोराइड होता है, जो भूमि में दबे रहने से भूजल को जहरीला बना देता है.
बारिश में प्लास्टिक के कचरे से दुर्गन्ध आती है. नदी नाले अवरुद्ध होने से बाढ़ की स्थति पैदा हो जाती है. हवा में प्रदुषण फैलने से अनेक असाध्य रोग हो जाते है. कैंसर का खतरा बढ़ जाता है प्लास्टिक कचरा खाने से गाय आदि पशुओं की जाने चली जाती है. इस तरह प्लास्टिक थैलियों से पर्यावरण को हानि पहुचती है. Say No To Plastic Bags की पद्दति का अनुसरण करना होगा, ताकि इस बड़ी समस्या से हमारे पर्यावरण को बचाया जा सके.
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