Hindi, asked by mehakkothari, 8 months ago

plastic ki duniya:
sanketbbindu:
vigyanyug ka parichay
dhatuo ka parichar​

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Answered by chhayag39
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Explanation:

आधुनिक समाज में प्लास्टिक मानव-शत्रु के रूप में उभर रहा है। समाज में फैले आतंकवाद से तो छुटकारा पाया जा सकता है, किंतु प्लास्टिक से छुटकारा पाना अत्यंत कठिन है, क्योंकि आज यह हमारे दैनिक उपयोग की वस्तु बन गया है। गृहोपयोगी वस्तुओं से लेकर कृषि, चिकित्सा, भवन-निर्माण, विज्ञान सेना, शिक्षा, मनोरंजन, अंतरिक्ष, अंतरिक्ष कार्यक्रमों और सूचना प्रौद्योगिकी आदि में प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है।

प्लास्टिक एक ग्रीक शब्द प्लास्टीकोस से बना है, जिसका सीधा तात्पर्य है आसानो से नमनीय पदार्थ जो किसी आकार में ढाला जा सके।इस तरह विश्व की तुलना में यह खपत भारत में प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत है। इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट जिसमें EPOXY,प्रिंटेड सर्किट बोर्ड, चप्पल, टी.वी., जबकि ऐसे प्लास्टिक अपशिष्ट की मात्रा विश्व में 7000 टन है।

अपनी विविध विशेषताओं के कारण प्लास्टिक आधुनिक युग का अत्यंत महत्वपूर्ण पदार्थ बन गया है। टिकाऊपन, मनभावन रंगों में उपलब्धता और विविध आकार-प्रकारों में मिलने के कारण प्लास्टिक का प्रयोग आज जीवन के हर क्षेत्र में हो रहा है। बाजार में खरीदारी के लिए रंग-बिरंगें कैरी बैग से लेकर रसोईघर के बर्तन, कृषि के उपकरण, वह भी प्लास्टिक से ही बनाया गया है।

तमाम खूबियों वाला यही प्लास्टिक जब उपयोग के बाद फेंक दिया जाता है तो यह अन्य कचरों की तरह आसानी के नष्ट नहीं होता। एक लंबे समय तक अपघटित न होने के कारण यह लगातार एकत्रित होता जाता है और अनेक समस्याओं को जन्म देता है। जिन देशों में जितना अधिक प्लास्टिक का उपयोग होता है, वहां समस्या उतनी ही जटिल है। चिंता की बात तो यह है कि प्लास्टिक का उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है। जबकि पिछले वर्षों में जो प्लास्टिक कचरे में फेंका गया, वह ज्यों-का-त्यों धरती पर यत्र-तत्र बिखरकर प्रदूषण फैला रहा है। भारत में अभी भी प्लास्टिक का उपयोग विकसित देशों की अपेक्षा काफी कम है, लेकिन इसका प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है।

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