plastic ki samasya par nibandh
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प्लास्टिक प्रदूषण पर्यावरण में भारी मात्रा में प्लास्टिक कचरे के इकठ्ठे हो जाने से उत्पन्न होता है। प्लास्टिक एक नान बायो-डिग्रेडबल पदार्थ है, यह पानी या मिट्टी में विघटित नही होता है और इसे जलाने पर इसका प्रभाव और भी ज्यादे हानिकारक हो जाता है। यह वातावरण में सैकड़ो सालो तक उपस्थित रहता है, जिससे यह वायु, जल और भूमि प्रदूषण उत्पन्न करता है। इसके साथ ही मनुष्य, जीव-जन्तुओ और पेड़-पौधो के लिये भी बहुत हानिकारक है, प्लास्टिक प्रदूषण चलते प्रति वर्ष कई जीव-जन्तुओ और समुद्री जीवो की मृत्यु हो जाती है।
प्लास्टिक के प्लेट, बैग, चम्मच,चश्मे और अन्य कई चीजे बाजारो में आसानी से उपलब्ध है। ये सभी वस्तुएं काफी किफायती और इस्तेमाल करने में काफी आसान होती है, जिससे लोग बाद में होने वाली साफ-सफाई के झंझटो से बचने के लिये कार्यक्रमो और उत्सवो में इनका इस्तेमाल करके फेंक देते है। बस इसके लिये अंत में लोगो को इसे इकठ्ठा करके फेंकना होता है। हालांकि वह यह भूल जाते है कि यह कचरा इतनी आसानी से खत्म नही होगा और वातावरण में वर्षो तक रहकर इसे नुकसान पहुंचाता रहेगा।
इस प्रदूषण के लिये सिर्फ प्लास्टिक बैग और फर्नीचर ही जिम्मेदार नही है, बल्कि की पूरे विश्व में अन्य कई प्लास्टिक से बनने वाले चीजे भी इसके लिये उतने ही जिम्मेदार है। यह वह समय है जब हमें प्लास्टिक प्रदूषण के हानिकारक प्रभावो को गंभीरता से समझने की आवश्यकता है और इसे रोकने में अपना बहुमूल्य योगदान देने की आवश्यकता है।