Plastic ki thali ek abhishap
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जब संसार में प्लास्टिक का चलन हुआ था और विशेषकर पॉलिथीन की थैली का चलन हुआ था, तो यह लोगों को किसी वरदान से कम नहीं लगती थी, क्योंकि यह अपने हल्के वजन, पतले स्वरूप और मजबूत प्रकृति के कारण सामान्य जन में लोकप्रिय होती चली गई। धीरे-धीरे प्लास्टिक की थैली ने हमारे जीवन में पूरी तरह से अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया।
हमारे द्वारा खरीदारी की जाने वाली कोई भी ऐसी वस्तु नहीं होती कि जो बिना प्लास्टिक की थैली में लाई जाती। सब्जी से लेकर खाने पीने का अन्य सामान हो या कपड़े से लेकर अन्य कोई जरूरत की वस्तु सारे सामान प्लास्टिक के थैली में ही आता था।
लेकिन अब धीरे-धीरे प्लास्टिक अर्थात पॉलिथीन की थैली के दुष्परिणाम सामने आने लगे है।अब समझ में आ रहा है और साबित हो रहा है कि यह एक वरदान नही बल्कि एक अभिशाप है।
प्लास्टिक व पॉलीथिन की थैलियां आज के हमारे पर्यावरण के लिए जी का जंजाल बन गई हैं। लोग-बाग प्लास्टिक की थैलियों में सामान लाते हैं फिर उनमें कचरा भर कर या खाने-पीने की अपशिष्ट भरकर फेंक देते हैं। उन खाने पीने की वस्तुओं से भरी थैली को पशु-पक्षी खा लेते हैं और थैली उनके पेट में चली जाती है जिसे उनकी जान को खतरा हो जाता है।
प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है जो पूरी तरह विघटित नहीं होता और इसको पूरी तरह खत्म होने में हजारों साल लगते हैं। इससे बनाई गई पॉलिथीन की थैलियां जहां-तहां पड़ी रहती हैं और यह विघटित नहीं होती। यह थैलियां नालियों को जाम कर देती हैं जिसे कचरा एक जगह जमा हो जाता है जो बीमारियों को निमंत्रण देता है। यदि इन थैलियों को जलाएं तो अनेक तरह की जहरीली गैसें वातावरण में उत्पन्न होती हैं जो वातावरण को प्रदूषित करती हैं।
यदि हमें अपने पर्यावरण को बचाना है, इसके लिए आज के समय में प्लास्टिक की थैलियां का प्रयोग पूरी तरह बंद करना होगा। हमारा पर्यावरण स्वस्थ होगा तभी हम भी स्वस्थ रह सकेंगे, इसलिये समय की मांग है कि प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग पूरी तरह से बंद हो, और इन पर कानूनी प्रतिबंध लगे।