plastic ki theli ki atmakatha in hindi
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आज मेरी क्या अवस्था हो गयी हैं की आज हर स्थान पर मेरा बहिष्कार हो रहा है। एक वक़्त पर मैं हर किसी की ज़रूरत थी मगर आज हर कोई मुझ से नफ़रत करता है।
मैं पूछती हूं की मेरा क़सूर क्या है यही की मैं कभी मर नहीं सकती। मैं पर्यावरण को हानि पहुंचाती हूं।
मगर मैं लोगों के काम भी तो आती हूं ये क्यों नही दिखता किसी को।
जहां देखो वहां मुझे बंद कर दिया है। उपयोग करते वक़्त ये ख्याल नही आया की मैं प्रकृति को हानि पहुचा सकती हूं ।
मगर आज इतने वर्षों के बाद तुम सबकी आखें खुली की मैं उपयोगी नही हूं हानिकारक हूं।
अब मैं कहा जाऊ किसको अपने आसूं दिखाऊं किसको अपने दुख दिखाऊ।
इसलिए मेरी आत्मकथा ही पढ़ा रही हूं।
मैं पूछती हूं की मेरा क़सूर क्या है यही की मैं कभी मर नहीं सकती। मैं पर्यावरण को हानि पहुंचाती हूं।
मगर मैं लोगों के काम भी तो आती हूं ये क्यों नही दिखता किसी को।
जहां देखो वहां मुझे बंद कर दिया है। उपयोग करते वक़्त ये ख्याल नही आया की मैं प्रकृति को हानि पहुचा सकती हूं ।
मगर आज इतने वर्षों के बाद तुम सबकी आखें खुली की मैं उपयोगी नही हूं हानिकारक हूं।
अब मैं कहा जाऊ किसको अपने आसूं दिखाऊं किसको अपने दुख दिखाऊ।
इसलिए मेरी आत्मकथा ही पढ़ा रही हूं।
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Explanation:आज मेरी क्या अवस्था हो गयी हैं की आज हर स्थान पर मेरा बहिष्कार हो रहा है। एक वक़्त पर मैं हर किसी की ज़रूरत थी मगर आज हर कोई मुझ से नफ़रत करता है।
मैं पूछती हूं की मेरा क़सूर क्या है यही की मैं कभी मर नहीं सकती। मैं पर्यावरण को हानि पहुंचाती हूं।
मगर मैं लोगों के काम भी तो आती हूं ये क्यों नही दिखता किसी को।
जहां देखो वहां मुझे बंद कर दिया है। उपयोग करते वक़्त ये ख्याल नही आया की मैं प्रकृति को हानि पहुचा सकती हूं ।
मगर आज इतने वर्षों के बाद तुम सबकी आखें खुली की मैं उपयोगी नही हूं हानिकारक हूं।
अब मैं कहा जाऊ किसको अपने आसूं दिखाऊं किसको अपने दुख दिखाऊ।
इसलिए मेरी आत्मकथा ही पढ़ा रही हूं।
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