Hindi, asked by ARTHIMP4445, 9 months ago

Plastic mukt bharat pr ek nibandh 500 shbdon me in hindi

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Answered by Anujmishra123
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Answer:

Explanation:हमारे पक्का संदेश प्लास्टिक मुक्त उत्तर प्रदेश।

आज कल प्लास्टिक का उपयोग हर जगह हो रहा है जिसके कारण मानव प्रकृति के अनुदान उसे लाभान्वित होता गया उसके लोग में बढ़ोतरी होती गई प्रकृति का ख्याल रखे बगैर कई माननीय गतिविधियों से ऐसे आविष्कार किए जिससे प्रकृति को नुकसान होना शुरू हुआ नतीजा प्रकृति के नाम पर मानव ने प्रकृति में बहुत ज्यादा हस्तक्षेप किया इस भयंकर आविष्कारों में एक प्लास्टिक को भले ही मानव का आविष्कार क्यों ना मानी लेकिन यही प्लास्टिक उसकी प्रकृति का सबसे बड़ा शत्रु बनकर उसे प्रदूषित कर रहा है जिस प्रकृति ने हमारे पूर्वजों को एक अच्छा वातावरण दिया और आगे भी यह प्रकृति हमें तथा हमारी भावी पीढ़ियों को अच्छा वातावरण देने में तत्पर है मगर ना जाने प्लास्टिक प्रदूषण से हम प्रकृति का गला घोटने को उतारू क्यों है।                                        

          देखते ही सही शुरुआत तो हुई आज भारत इस समस्या को समाप्त करने में थोड़ी गंभीरता की झलक देखने को मिली कई राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश में प्लास्टिक के कुछ विशिष्ट उत्पादों के प्रयोग को गैरकानूनी घोषित कर इसके प्रयोग को कम करना शुरू किया।

                  विश्व पर्यावरण दिवस पर भारत में हुए कार्यक्रमों को ऐतिहासिक बताते हुए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण प्रमुख एरिक सोलहेम इसके लिए भारत की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा है कि भारत ने एक बाहर के इस्तेमाल के बाद फेंक दिए जाने वाले प्लास्टिक को 2022 तक समाप्त की घोषणा कर वैश्विक नेतृत्व और पर्यावरण के प्रति गंभीरता दिखाई है।

            मगर भारत को इन बड़ी-बड़ी घोषणाओं और वादों के स्थान पर अपनी प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करने की कोशिशों पर भी जोर देना होगा।

          लिखने वाले ने भी क्या बात लिखी है कि " वादे तो अक्सर टूट जाया करते हैं लेकिन कोशिशें कामयाब हो जाया करती हैं।"

वहीं दूसरी ओर भारत में इस प्रदूषण को समाप्त करने की कोशिश यहां तक कि रही है कि आमतौर पर प्लास्टिक को या तो गड्ढे में भर दिया जाता है या इसे जला कर खत्म कर दिया जाता है। मगर दोनों प्रदूषित तरीके हैं गड्ढे में दबाने पर वहां की जमीन बंजर हो जाती है और इसे जलाने से वायु में जहरीली गैसों से वायु प्रदूषित होता है इन बेकार की कोशिशों से परे एक बड़ी कोशिश यह होनी चाहिए कि हम दिनचर्या व जीवनशैली को बदल प्लास्टिक पर निर्भरता कम करें और प्लास्टिक की जगह अन्य विकल्पों को अपनाएं जो विकल्प प्रकृति के अनुकूल हो।

          निसंदेह भारत ने इस प्रदूषण को समाप्त करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं जैसे कई राज्यों में वशिष्ठ प्लास्टिक प्रयोग को गैरकानूनी मानना और सरकार व आम जनता का इस प्रदूषण को समाप्त करने की गंभीरता दिखाई देना धीरे-धीरे प्रयास ही सही मगर इन प्रयासों को निरंतर रखना जरूरी है क्योंकि भले ही बारिश की बूंदे छोटी-छोटी क्यों ना हो का निरंतर बरसना है 1 दिन नदी का रूप ले लेता है इसलिए भारत में प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने में निरंतरता रखनी होंगी तभी हम अपनी आने वाली पीढ़ी को हरित व पर्यावरण अनुकूल विरासत दे पाएंगे।

              प्लास्टिक के दुष्प्रभाव को देखते हुए पूरी दुनिया तथा भारत सिंगल यूज़ प्लास्टिक को बैन करने तथा प्लास्टिक को रीसाइक्लिंग करने के कदम को मजबूती से आगे बढ़ा रहे हैं।

              अतः हम सब का यह कर्तव्य है कि मानव जाति तथा जीव-जंतुओं के कल्याण के लिए प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए अपना योगदान देना चाहिए।

अनुज मिश्रा।

Answered by dackpower
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कोई भी पदार्थ जो सूक्ष्मजीवों द्वारा नॉन डेकोमोसेबल है, प्रकृति और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए हानिकारक है।

Explanation:

भारत में स्वच्छ भारत या स्वच्छ भारत की पहल भारत को प्लास्टिक और सभी प्रकार के कचरे से मुक्त करने के लिए की गई है।

चूंकि प्लास्टिक बहुलक से बना है, इसलिए आजकल यह सबसे हानिकारक गैर-बायोडिग्रेडेबल या गैर-डीकॉम्पोजेबल पदार्थ में से एक है, जो पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन पैदा करता है। प्रति वर्ष प्लास्टिक अपशिष्टों की संख्या में वृद्धि के कारण न केवल भूमि के फन बल्कि जलीय जीव भी पीड़ित हैं।

जल जीवों में प्लास्टिक की निकासी हो रही है, जिससे जलीय जानवरों को जीवित रहने में कठिनाई हो रही है।प्लास्टिक बैग पॉलिमर से बने होते हैं जिनमें हानिकारक विषाक्त पदार्थ होते हैं और ऐसे विषाक्त पदार्थों के जलने से वायु प्रदूषण होता है।

प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग पर रोक लगाई जानी चाहिए और इसे प्राकृतिक जैव निम्नीकरणीय यौगिकों जैसे जूट के थैले से बने थैलों से प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए। मुंबई या चेन्नई में अधिकांश समुद्र तट प्रदूषित हैं और प्लास्टिक से गार्बेज लोड किए जाते हैं जो सीवेज सिस्टम को रोकते हैं। हर साल बारिश के मौसम में मुंबई में पानी भर जाता है, जहां प्लास्टिक के अत्यधिक उपयोग के कारण एक सबसे महत्वपूर्ण समस्या है। यह देखा गया है कि 7500 टन कचरे में से प्लास्टिक का प्रतिशत 9 है।

इन सभी कारणों से भारत सरकार ने प्लास्टिक के उपयोग के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं और इसे बेहतर माहौल के लिए प्रतिबंधित किया है। प्लास्टिक का उपयोग करते या बेचते हुए किसी को भी भारी मात्रा में धनराशि का जुर्माना लगाया जाना चाहिए और उस व्यक्ति के खिलाफ आवश्यक मुकदमा दायर किया जाना चाहिए।

कई सामाजिक जागरूकता अभियान जैसे -

"SAY NO TO PLASTIC" लोगों में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए बनाया गया है

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Nibandh on plastic mukt bharat

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