plastic nished par nibandh in hindi
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वर्तमान समय को यदि पॉलीथीन अथवा प्लास्टिक युग के नाम से जाना जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। क्योंकि सम्पूर्ण विश्व में यह पॉली अपना एक महत्त्वपूर्ण स्थान बना चुका है और दुनिया के सभी देश इससे निर्मित वस्तुओं का किसी न किसी रूप में प्रयोग कर रहे हैं। सोचनीय विषय यह है कि सभी इसके दुष्प्रभावों से अनभिज्ञ हैं या जानते हुए भी अनभिज्ञ बने जा रहे हैं। पॉलीथीन एक प्रकार का जहर है जो पूरे पर्यावरण को नष्ट कर देगा और भविष्य में हम यदि इससे छुटकारा पाना चाहेंगे तो हम अपने को काफी पीछे पाएँगे और तब तक सम्पूर्ण पर्यावरण इससे दूषित हो चुका होगा।
हालाँकि प्लास्टिक निर्मित वस्तुएँ गरीब एवं मध्यवर्गीय लोगों का जीवनस्तर सुधारने में सहायक हैं, लेकिन वहीं इसके लगातार उपयोग से वे अपनी मौत के बुलावे से भी अनभिज्ञ हैं। यह एक ऐसी वस्तु बन चुकी है जो घर में पूजा स्थल से रसोईघर, स्नानघर, बैठकगृह तथा पठन-पाठन वाले कमरों तक के उपयोग में आने लग गई है। यही नहीं यदि हमें बाजार से कोई भी वस्तु जैसे राशन, फल, सब्जी, कपड़े, जूते यहाँ तक तरल पदार्थ जैसे दूध, दही, तेल, घी, फलों का रस इत्यादि भी लाना हो तो उसको लाने में पॉलीथीन का ही प्रयोग हो रहा है। आज के समय में फास्ट फूड का काफी प्रचलन है जिसको भी पॉली में ही दिया जाता है। आज मनुष्य पॉली का इतना आदी हो चुका है कि वह कपड़े या जूट के बने थैलों का प्रयोग करना ही भूल गया है। अर्थात दुकानदार भी हर प्रकार के पॉलीथीन बैग रखने लग गए है और मजबूर भी हैं रखने के लिये, क्योंकि ग्राहक ने उसे पॉली रखने को बाध्य सा कर दिया है यह प्रचलन चार पाँच दशक पहले इतनी बड़ी मात्रा में नहीं था तब कपड़े, जूट या कागज से बने थैलों का प्रयोग हुआ करता था जोकि पर्यावरण के लिये लाभदायक था।
प्रदूषण निवारण में समाज की भूमिका:
उपर्युक्त कथन कि प्रकृति ईश्वर की अनुपम देन है को संजोए रखना समाज का कर्तव्य बन जाता है। अत: मानव समाज को पॉलीथीन से होने वाले प्रदूषण के बचाव के लिये बढ़ चढ़ कर आगे आना होगा और अपने-अपने स्तर पर इससे निपटने के लिये सहभागी होना होगा। इसमें चाहे बच्चें हों या बूढ़े, स्त्री हो या पुरूष शिक्षित हो या अशिक्षित अमीर हो या गरीब, शहरवासी हो या गाँववासी सभी को इससे निजात पाने के लिये सहृदय कार्य करना होगा। परिवार के बड़े सदस्य स्वयं पॉली का प्रयोग न करें साथ ही सभी दूसरे सदस्यों को भी इसका प्रयोग करने से रोकें। साथ ही आस-पास के लोगों को भी इसके विषय में जानकारी दें तो यह सबसे बड़ा कदम होगा इसके निवारण में। यदि बाजार खरीदारी करने जाएँ तो अपने साथ जूट या कपड़े निर्मित थैले लेकर जाएँ और यदि दुकानदार पॉली में सामान दें तो उनको भी इसका प्रयोग करने से रोकें और पॉली का बहिष्कार करें। यदि उपभोगता ही इसका भोग करना बंद कर दें तो इसकी जरूरत दिन प्रति दिन कम होती चली जाएगी और एक समय ऐसा भी आएगा जब पॉलीथीन का पूरे वातावरण से सफाया हो जाएगा। सरकारी तंत्र को भी चाहिए कि वह इस निर्माण में लगी इकाइयों को बंद करें।
प्लास्टिक निषेध पर निबंध
Explanation:
प्लास्टिक हमारे पर्यावरण के लिए सबसे हानिकारक पदार्थ है क्योंकि प्लास्टिक के कारण बहुत प्रदूषण फैल रहा हैl प्लास्टिक हमारी नदियों, नहर, महासागर, आदि को भी प्रदूषित कर रहा हैl
आधुनिक युग में प्लास्टिक के उपयोग को और कम से कम प्लास्टिक के ऐकिक उपयोग को रोकने की बहुत आवश्यकता है l प्लास्टिक एक सिंथेटिक पॉलीमर है जोकि कई कार्बनिक और अकार्बनिक योगिक होते हैंl प्लास्टिक कई शताब्दियों से इस्तेमाल में हो रही है इसकी वजह से कई खतरनाक रसायन भी पैदा हो रहे हैंl जिससे मनुष्य और जानवरों में भी बीमारियां फैल रही हैl
चूंकि प्लास्टिक बहुत कम कीमत पर उपलब्ध होता है इसीलिए लोग इसका अत्यधिक उपयोग कर रहे हैं । इससे पृथ्वी और हमारे पर्यावरण पर बहुत बड़ा खतरा मंडरा रहा है । प्रदूषण बढ़ जाने की वजह से ना केवल हमारी पृथ्वी अपितु इस पर मौजूद सभी जीवित प्रजातियां अपने खात्मे की ओर बढ़ने लगी है।
हालांकि प्लास्टिक अकेले पर्यावरण प्रदूषण का कारण नहीं है अपितु यह पर्यावरण प्रदूषण में एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती है इसीलिए हमें अपने क्षेत्र को और अपने देश को प्लास्टिक निषेध बनाना चाहिए ताकि हमारी पृथ्वी के जीवन की और उस पर मौजूद सभी प्राणियों की सुरक्षा हो सके।
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