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Answers
वर्णों की आवृत्ति को अनुप्रास कहते हैं। उदाहरण -
चारु चन्द्र की चंचल किरणें,
खेल रहीं थीं जल-थल में।
स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई थी,
अवनि और अम्बरतल में॥रूपक अलंकार का उदाहरण-Rupak Alankar Ke Udaharan In Hindi
उदित उदयगिरि मंच पर, रघुबर बालपतंग।
बिकसे संत सरोज सब, हरषे लोचन-भृंग।।
स्पष्टीकरण-
प्रस्तुत दोहे में उदयगिरि पर मंच का, रघुवर पर बाल पतंग का, संतों पर सरोज का एवं लोचनओं पर भृगों का अभेद आरोप होने से रूपक अलंकार है।
विषय-वारि मन-मीन भिन्न नहिं,
होत कबहुँ पल एक।
स्पष्टीकरण-
इस काव्य पंकित में विषय पर वारि का और मन पर मीन का अभेद आरोप होने से यहां रूपक अलंकार है।
सिर झुका तूने नियति की मान की यह बात।
स्वयं ही मुर्झा गया तेरा हृदय-जलजात।।
स्पष्टीकरण-
उपयुक्त काव्य पंक्ति में हृदय जल जात में हृदय उपमेय पर जलजात (कमल) उपमान का अभेद आरोप किया गया है। अतः यहां पर रूपक अलंकार होगा। जब एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है।
उदाहरण - १ ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी, ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती हैं। (यहाँ पर मन्दर के अर्थ हैं अट्टालिका और गुफा।) २ कनक-कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय, या खाये बौराय जग, वा पाये बौराय। (यहाँ पर कनक के अर्थ हैं धतूरा और सोना।)
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