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परोपकार
परोपकार को सबसे बड़ा धर्म माना गया है । व्यास जी ने परोपकार को अठारहों पुराणों का निचोड़ बताया है । अपनी भलाई के बारे में तो हर कोई सोचता है, महान वही है जो दूसरों की भलाई सोचता है । वही बड़ा है जो सारे संसार को खुश देखना चाहता है । अपने पड़ोसियों, अपने समाज को खुशहाल और प्रसन्न देखने वाला परोपकारी होता है । वह अपनी हित-चिंता के साथ-साथ दूसरों की लिए-चिंता भी करता है ।
वह समाजोपयोगी कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेता है । वह जनकल्याण के लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने के लिए तैयार रहता है । परोपकार वह गुण है जिसे अपनाकर व्यक्ति को मानसिक सुख एवं संतुष्टि प्राप्त होती है । समाज परोपकारी व्यक्ति को युगों-युगों तक याद रखता है, संसार उसकी जय-जयकार करता है । इसलिए हमें परोपकार के गुण को धारण करने के लिए तत्पर रहना चाहिए ।
नारा
हिंदी दिवस
- “ हम सब का अभिमान हैं हिंदी, भारत की शान हैं हिंदी।”
- “हिंदी में पत्राचार हो हिंदी में हर व्यवहार हो, बोलचाल में हिंदी ही अभिव्यक्ती का आधार हो।”
- “एकता की जान है, हिंदी देश की शान है।”
- “राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है।”
- “हिंदी शताब्दियोसे राष्ट्रिय एकता का माध्यम रही है।
संवाद
समय का महत्व
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