Hindi, asked by NirjasVyas, 4 days ago

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Answered by laxmishukla7307819
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मेहनत

राजा कुवारसिंह जी बड़े अमीर थे चीज की कमी नहीं थी।

उनका स्वास्थ्य अच्छा नहीं था बीमारी के बारे में सदा परेशान रहते थे। कई वेधो ने उनका इलाज किया, लेकिन उनको कुछ फायदा नहीं हुआ।

राजा की बीमारी बढ़ती गई ,सारे नगर में यह बात फेल गई तब तक एक बूढ़ा ने राजा के पास आकर कहा महाराज आपका बीमारी का इलाज करने की आज्ञा मुझे दीजिए राजा से अनुमति पाकर वह बोला,आप किसी सुखी मनुष्य का कुर्ता पहने अवश्य स्वस्थ हो जाएंगे। बूढ़े की बात सुनकर सभी दरबारी हंसने लगी लेकिन राजा ने सोचा इतने इलाज करवाए हैं तो एक और सही। राजा के सेवकों ने सुखी मनुष्य की बहुत खोज की लेकिन उन्हें कोई पूर्ण सुखी मनुष्य नहीं मिला सभी लोगों को किसी ने किसी बात की परेशानी थी वह दुख था। अब राजा स्वयां सुखी मनुष्य के खोज पर निकल पड़ा। बहुत तलाश के बाद एक खेत में जा पहुंचा। जेठ की भरी दोपहरी में एक किसान अपने में था।राजा से पूछा क्यों जी तुम सुखी हो इतने में आंखें चमक उठी चेहरा पर मुस्कुरा, होता वह बोला ईश्वर की कृपा से मुझे कोई दुख नहीं है। यह सुनकर राजा का अंग अंग मुस्कुरा उठा उस किसान का कुर्ता मांगने के लिए जिओ ही उन्होंने उसके शरीर की और देखा उन्हें मालूम हुआ की किसान सिर्फ धोती पहने हुए है और उसकी सारी देह पसीने से तर है। राजा समझ गया श्रम करने का कारण यह किसान का संकल्प किया। श्री राजा ने किसान से कहा कि आपके पास कोई कुर्ता है कृपया मुझे दे दे यह सुनकर किसान थोड़ा चकित था पर उसने बिना सोचे समझे अपना फटा पुराना कुर्ता देख लिया और कहा मेरे पास बस यही है। राजा वाले कर अपने दरबार चला गया। कुछ दिनों जा जाने वह कुर्ता पहना फिर कुछ दिनों के बाद उनका बीमारी में फायदे होने लगी। वह धीरे धीरे ठीक हो गए।

सीख: यदि कोई संघर्ष नहीं है तो कोई प्रगति नहीं है।

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