Hindi, asked by sanjeevkrishna1976, 16 hours ago

please answer bata do​

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Answered by songulshan99
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लेखक कहता है कि एक कवि की रचना के समय उसके मन में जो कल्पना होती है बिना आधार की नहीं होती हैं।अथार्त वह जो देखता है, समझता है ,सोचता है आधार बनाकर एक नई सृष्टि की रचना करता है। अतः उसने जिस साकार सृष्टि की रचना उसने अपने मन में की थी साकार हो जाती है।

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