Hindi, asked by priyabelanke, 18 days ago

please answer fast my friends....​

Attachments:

Answers

Answered by pooja7780
0

Answer:

कई वर्ष पुरानी बात है, एक खूबसूरत से शहर में मिडास नाम का राजा अपनी पत्नी और बेटी के साथ रहा करता था। राजा मिडास बहुत लालची था और उसके पास बहुत सारा सोना था। उसे अपने सोने से बहुत प्रेम था। उसे सोना इतना पसंद था कि अपनी बेटी का नाम भी उसने सोनपरी रख दिया था। अपने जीवन में राजा को सिर्फ दो ही चीजें सबसे प्रिय थी, एक सोना और दूसरी सोनपरी।वह अपना सारा सोना एक तैखाने में रखता था और हर रोज उसे गिनता था। उसकी इस आदत पर रानी कहा करती थी कि “महाराज, आप ऐसे हर रोज अपना सोना गिनेंगे, तो एक दिन यह सारा सोना गायब हो जाएगा।” रानी की इस बात पर राजा मिडास बहुत नाराज होता था। वह कहता कि रानी, इस सोने का महत्व तुम नहीं समझोगी। दुनिया में सोने से ज्यादा खूबसूरत और कीमती कुछ नहीं है। हर रोज राजा अपना सोना गिनता और सोने के लिए उसका मोह बढ़ता ही जाता। साथ ही दिन-ब-दिन राजा और लालची होता जा रहा था।जहां एक तरफ राजा को सोने से इतना मोह था, वहीं राजकुमारी सोनपरी को सोने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। दिन भर वह महल के बगीचों में खेला करती थी। उसे प्रकृति से बहुत प्रेम था। सोनपरी राजा से कहा करती थी “पिताजी, देखिए इस फूल को, यह कितना सुंदर है।” इस पर राजा मिडास जवाब देता कि “हां, सुंदर तो है, लेकिन अगर यह सोने का होता तो और ज्यादा सुंदर होता।”सोने के लिए राजा मिडास की लालच इतनी बढ़ती जा रही थी कि वह दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति बनना चाहता था। धीरे-धीरे उसकी यह चाहत कब पागलपन में बदल गई, किसी को पता ही नहीं चला।एक दिन राजा ने सबसे अमीर आदमी बनने के लिए भगवान से प्रार्थना करने के बारे में सोचा। उसने खाना-पीना छोड़कर, भगवान का ध्यान करना शुरू कर दिया। कई दिन बीत गए, लेकिन राजा मिडास ने अपना ध्यान भंग नहीं होने दिया। उसकी इस प्रार्थना से भगवान प्रसन्न हुए और उसे दर्शन देने पहुंचे। भगवान ने कहा कि बताओ, तुम्हें क्या वरदान चाहिए? राजा ने कहा, “भगवान, मुझे ऐसी शक्ति दो कि जिस भी चीज को मैं स्पर्श करूं, वह सोने की बन जाए।” भगवान ने उसे वरदान दे दिया और कहा कि एक बात हमेशा याद रखना कि सोने से तुम हर खुशी नहीं खरीद सकते। ऐसा कह कर भगवान गायब हो गए और राजा खुशी के मारे झूम उठा।वह महल की हर छोटी-बड़ी चीज को छूने लगा। कुर्सी, मेज, गमले, पलंग, हर वस्तु सोने में बदलती जा रही थी। राजा बागीचे में पहुंचा और पेड़-पौधे व फूल को छूकर सोने का बना दिया। इतनी भाग-दौड़ करने की वजह से राजा मिडास थक गया था और उसे भूख लगने लगी। वह खाना खाने के लिए महल में गया और अपने सोने की कुर्सी व मेज पर बैठ गया।

मेज पर कई प्रकार के पकवान, मिठाइयां और फल रखे हुए थे, जिन्हें देख कर राजा के मुंह में पानी आ रहा था। जैसे ही राजा ने पकवान खाया, तो उसका सामने का एक दांत टूट कर गिर गया और यह देख कर वह चौंक गया। उसने देखा कि उसके स्पर्श से पकवान सोने के बन गए हैं। जैसे ही उसने फल को छुआ, फल भी सोने के बन गए। उसके छूने से मिठाइयां, नमकीन, यहां तक भी पानी भी सोने में बदल गया।यह सब देख कर राजा निराश हो गया और कहने लगा “हे भगवान, अब मैं क्या खाऊं?” अपने पिता की आवाज सुन कर सोनपरी दौड़ती हुई आई। उसने देखा कि उसके पिता बहुत परेशान हैं। पिता की यह परेशानी उससे देखी न गई और उन्हें सांत्वना देने के लिए उसने राजा को गले से लगाना चाहा। इससे पहले कि राजा कुछ कह पाता राजकुमारी सोनपरी ने राजा को छू लिया और उसे छूते ही वह सोने की बुत बन गई।अपनी बेटी का यह हाल देखकर राजा मिडास जोर-जोर से रोने लगा। इस सब के बाद राजा ने भगवान से फिर प्रार्थना की। जब भगवान प्रकट हुए, तो राजा ने कहा “हे इश्वर, मुझे यह वरदान नहीं चाहिए। मैं बहुत लालची हो गया था, लेकिन अब मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है। कृपया करके मेरी सहायता करें।” राजा की बातें सुनकर, भगवान ने वरदान वापस ले लिया और सब कुछ पहले की तरह हो गया।राजकुमारी सोनपरी फिर से बगीचे में खेलने लगी और उसके साथ राजा मिडास भी प्रकृति का आनंद उठाने लगें। इसके बाद राजा ने अपने तैखाने पर ताला लगा दिया और हर रोज सोना गिनना भी बंद कर दिया।

कहानी से सीख : इस कहानी से यह सीख मिलती है कि कभी लालच नहीं करना चाहिए, क्योंकि लालच बुरी बला है और उसका फल हमेशा बुरा ही होता है।

Answered by vivanjain491
0

Answer:

बहुत पुराणी बात है, एक खूबसूरत से शहर में मिडास नाम का राजा अपनी पत्नी और बेटी के साथ रहा करता था। राजा मिडास बहुत लालची था और उसके पास बहुत सारा सोना था। राजा मिडास को अपने सोने से बहुत प्रेम था। उसे सोना इतना पंसद था कि उसने अपनी बेटी का नाम भी सोनपरी रखा था। अपने जीवन में राजा को सिर्फ दो ही चीज़े अच्छी लगती थी एक सोना और दूसरी उसकी बेटी सोनपरी | राजा मिडास अपना सारा सोना एक तेरखाने में रखता था और हर रोज उसे गिनता था। उसकी इस आदत पर रानी कहती, “महाराज अगर आप ऐसे रोज अपना सोना गिनेंगे तो एक दिन यह सारा सोना गायब हो जाएगा।” रानी की बातों पर राजा मिडास बहुत नाराज होता था। वह कहता था, “अरे रानी, तुम बिलकुल नहीं समझती। यह सोना बहुत महत्वपूर्ण होता है। दुनिया में सबसे ज़्यादा खूबसूरत और कीमती चीज़ कुछ भी नहीं है।’ इस तरह हर रोज राजा अपना सोना गिनता और उसका सोने के प्रति लगाव बढ़ता ही चला जाता था। अब राजा दिन व दिन लालची होता जा रहा था। जहाँ एक तरफ राजा को सोने से इतना प्यार था और उसकी राजकुमारी सोनपरी को उसे तो सोने में कोई दिलचस्वी नहीं थी। दिनभर वह बगीचे में खेलती और उसे प्रकृति से बहुत प्रेम था राजकुमारी हर वक्त रंगबेरंग फूलो को देखती रहती। उसे यह सब देखने में बहुत मजा आता। वहीं दूसरी तरफ राजा मिडास कहता, ” हाँ यह सुंदर तो है लेकिन अगर सोने का होता तो और ज़्यादा सुंदर होता। अब धीरे-धीरे राजा मिडास इतना लालची होता चला गया कि उसे लगा उसे दुनिया का सबसे अमीर आदमी बनना चाहिए। धीरे-धीरे उसकी यह चाह कब पागलपन में बदल गई पता ही नहीं चला। एक दिन उसने अमीर आदमी बनने के लिए भगवान से प्रार्थना करने के बारे में सोचा। उसने खाना-पीना छोड़कर भगवान का ध्यान करना शुरू कर दिया। कई दिन बीत गए लेकिन राजा अपनी प्रार्थना से अपना ध्यान बिलकुल भंग नहीं होने देता। अंत में भगवान बहुत प्रसन्न हो जाते हैं और उसे दर्शन देने पहुँचे। भगवान ने कहा, “बताओ तुम्हे क्या चाहिए?” राजा ने कहा, “भगवान मुझे ऐसी शक्ति दो कि मैं जिस चीज़ को भी टच करूँ वह सोने की बन जाएँ। भगवान ने उसे वरदान दे दिया और कहा, “एक बात हमेशा ध्यान रखना कई सोने से तुम हर खुशी नहीं खरीद सकते।” ऐसा कहकर भगवान गायब हो गए। राजा तो अब खुशी के मारे झूमने लगा। वह महल की हर छोटी बड़ी चीज़ को छूने लगा। हर चीज़ सोने में बदलती जा रही थी। उसकी खुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा। राजा बगीचे में पहुँचा और पेड़-पौधे को छू कर सोने में बदल दिया। अब राजा मिडास थक गया था। उससे भूख लगी थी। वह खाना-खाने के लिए महल में गया और अपनी सोने की कुर्सी और टेबल पर जाकर बैठ गया। टेबल पर बहुत सारी चीज़े थी खाने के लिए। राजा के मुँह में पानी आ गया। जैसे ही राजा ने सेव खाने के लिए पकड़ा वह सोने का बन गया। अब उसने मिठाई खाने के लिए हाथ बढाया और मिठाई भी सोने में बदल गई। उसके हाथ लगाते ही सारे पकबान सोने में बदल गए। अब राजा निराश हो गया और कहा, “हे भगवान अब मैं क्या खाऊँ मुझे बहुत जोर से भूख लगी है।” अपने पिता की आवाज सुनकर सोनपरी दौड़ती हुई बाहर आई। उसने देखा उसके पिताजी बहुत परेशान है और यह देखकर वह उनसे गले मिलने के लिए भागी। इससे पहले की राजा कुछ कहता राजकुमारी सोनपरी ने राजा को छू लिया और राजकुमारी सोनपरी राजा के छूते ही सोने में बदल गई। अपनी बेटी का यह हाल देखकर राजा मिडास जोर-जोर से रोने लगा। इस सबके बाद राजा ने फिरसे भगवान से प्रार्थना की। भगवान जब प्रकट हुए तो राजा ने कहा, “हे भगवान, मुझे यह वरदान नहीं चाहिए। मैं बहुत लालची हो गया था लेकिन अब मुझे अपनी गलती का अहसास हो गया है। कृपा मेरी सहायता करें।” राजा की बात सुनकर भगवान ने अपनी वरदान वापस ले लिया और सब कुछ पहले की तरह हो गया। राजकुमारी सोनपरी फिरसे बगीचे में खेलने लगी और राजा मिडास वह भी अब प्रकृति का आनंद उठाने लगे और अब राजा मिडास ने सोना गिनना बिलकुल बंद कर दिया था।

इस कहानी से सीख, Moral of The Story:

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें लालच कभी नहीं करनी चाहिए क्यूंकि लालच बहुत बुरी चीज़ होती है और उसका फल हमेशा बुरा ही होता है।

Similar questions