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विरता पर poem
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प्रेम नही लिख सकता अब बलिदानी गीत सुनाता हूँ
मै भारत देश का वासी हूं, वीरों की बात बताता हूँ
तुम भूखे नंगे लूले हो और हमसे दौड़ लगाते हो
सीमा पर जब तुम टिक न सके आतंकी पनपाते हो
कश्मीर हड़पने का सपना तुम खुली आंख में सजाते हो
याद रखो सन इकहत्तर को जिसे भुलाये जाते हो
मै विश्व मंच पर रोज सभी को मैत्री भाव पढाता हूँ
मै भारत देश का वासी हूँ वीरों के गीत सुनाता हूँ।।
जो इंसानों को मारे वो निश्चित इन्सान नहीं होगा
राणा अगर फिर जागा तो अकबर महान नहीं होगा
मत उकसाओं वीरों को तुममें प्रान नही होगा
भारतवर्ष रहेगा लेकिन पाकिस्तान नही होगा।।
है जो हममें धधक रही वो आग तुम्हें बतलाता हूँ
मै भारत देश का वासी हूँ वीरों के गीत सुनाता हूँ।।
याद रखो वो जैश मोहम्मद आगे बहुत पछताओगे
छुपे रहो तुम पाकिस्तान में ढूंढ के मारे जाओगे
मौत बहुत है निकट तुम्हारे अब तुम बच नही पाओगे
बयालीस के बदले पूरा पाकिस्तान लुटाओगे।।
भारत माँ की अमर भूमि को अपना शीश चढाता हूँ
मै भारत देश का वासी हूँ वीरों के गीत सुनाता हूँ।।
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