India Languages, asked by Anonymous, 1 year ago

Please answer, I'll give Brainliest - 'Mere Priya Neta' Paragraph.

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Answered by jaskaran54
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नेता' शब्द का अर्थ है ले जाने वाला| इससे स्पष्ट है कि वह वक्ति जो समाज को सही मार्ग पर ले जाये, उसे नेता कहते हैं| नेतृत्व की इच्छा तो बहुतों में होती है, पर उनकी याग्यता और गुण रखने वाले लोग बहुत कम है|

नेता सच्चे अर्थ में वही होती है जिसका जीवन निःस्वार्थ भावना से भरा होता है| वह समाज और देश के हर व्यक्ति को समझाता है| उसमें 'वसुधैव कुटुम्बकम्र' की भावना कूट-कूटकर भरी होती है| समाज-कल्याण, जन-हित उसके जीवन का उद्देश्य होती है| वह समाज में फैली हुई समस्याओं को सेवा-भावना से हल करता है|

उपर्युक्त गुण तथा अन्य कई मानवीय विशेषताएँ हम श्री. जवाहरलाल नेहरु में पाते हैं| यही कारण है कि वे मेरे में सर्वोत्तम स्थान पा चुके हैं| वे भारत माता के सपूत थे| वे महान देशभक्त थे| उनका जन्म एक अमीर परिवार में हुआ था, उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए वे विदेश में गए थे| वे चाहते तो ऐश-आराम का जीवन बिता सकते थे क्योंकि वे सम्पन्न पिता के इकलौते पुत्र थे| भौतिक ऐश्वर्य और व्यक्तिगत स्वार्थ को भूलकर उन्होंने देश-सेवा को ही जीवन का मुख्य उद्देश बनाया| वे देश के लोगों को परंतत्रता की जंजीर से छुड़ाकर देश में स्वतंत्रता लाना चाहते थे| उन्हें गांधी जैसे महान नेता का मार्गदर्शन मिला था| देश को स्वतंत्र बनाने में जवाहरलाल नेहरु का काफी बड़ा हाथ है|

नेहरु जी स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे| वे जन-जन के प्यारे थे| वे इस समय हमारे बीच नहीं है तथापि वे सबके ह्रदय में बसे हुए हैं| जब तक वे प्रधानमंत्री के पद पर थे, समाज और देश की उन्नति के लिए अनेक कार्य करते रहे| पंचवर्षीय योजनओं द्वारा उनके नेतृत्व में उद्योग, विज्ञान और शिक्षा के क्षत्र में पर्याप्त उन्नति हुई|

प. नेहरु बड़े दृढ़-प्रतिज्ञ थे| कार्यशीलता में विश्वास रखते थे| कर्तव्य पालन में वे बड़े कठोर थे| साथ ही उन्हें बच्चों से सहज स्नेह था| इसलिए उन्हें 'चाचा नेहरु' कहकर पुरकरते थे| उन्होंने बच्चों को इतना महत्त्व दिया की अपने जन्मदिवस को "बाल दिवस" घोषित कर दिया| अत: उनका जन्म दिवस १४ नवम्बर 'बाल-दिवस' के रूप में मनाया जाता है और इस दिन बच्चे विशेष रूप से सम्मानित होते हैं|

पंडित जवाहरलाल नेहरु देश के ही नेता नहीं थे, अन्तरराष्ट्रिय ख्याति के नेता भी थे| वे पंचशील के प्रवर्तक तथा गुट-निरपेक्षता के प्रबल समर्थक थे| उन्होंने देश के लिए जो विदेश-नीति बनाई थी वह आदर्श मानी जाती है| जो लोग उनके सिद्धान्तों से असहमत थे, वे भी उनकी विदेश-नीति के कायल हैं| वे आज के प्रगतिशील औद्योगिक भारत के शिल्पकार है|

इस प्रकार देश-भक्ति, बच्चों के प्रति अटूट-प्रेम, कर्तव्य-परायणता, अंतर्राष्ट्रीय विश्व-शांति, विश्व बन्धुत्व आदि गुणों के कारण पंडित नेहरु हमारे तथा देश के प्रिय नेता बन गये थे|


Anonymous: Thanks
jaskaran54: brainlist?
jaskaran54: you're welcome
Anonymous: Brainliest can only be given when two people have answered.
jaskaran54: OK if second one answered and you found mine better then please mark me as brainlist
Answered by soumili14
3
\huge\bold\red{ANSWERE}

मेरा मनपसंद नेता।

✔भूमिका

नेता वो, जो अपने अनुयायिओं का पथ-प्रदर्शक और पथ-प्रवर्तक हो | जो स्वयं आदर्श बन प्रेरणा का अश्रेय्स्रोत हो | मेरे प्रिय नेता महात्मा गांधी में ए सभी विशेषताएँ समाहित हैं

सत्य और आहिंसा के मार्ग पर चलते हुए उन्होंने अपने युग को बदला | इतनी जाग्रति पैदा की कि अंग्रेजी साम्राज्य की वर्षों से जमी नींव हिल गयी | आज भी मुझ जैसे अगणित लोग उन्हें अपना आदर्श मानकर प्रेरणा प्रहण करते हैं |

✔विस्तार

जन्म तथा शिक्षा- महात्मागांधी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को काठियावाड़ के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था | उनके पिता श्री करमचंद गांधी पोरबंदर रियासत के दीवान थे | माता पुतली बाई अत्यंत भली और धर्म-परायण महिला थीं |

महात्मा गांधी का पूरा नाम है- मोहनदास करमचंद गांधी | पोरबंदर में प्राम्भिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे 1887 में वकालत की शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड चले गए |

जीवन के प्रमुख पड़ाव- विदेश से भारत लौटने पर उन्होंने वकालत प्रारंभ की | इसी सिलसिले में उन्होंने दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा | वहाँ अंग्रेजों की रंग-भेदनितिका उन्हें निजी अनुभव हुआ | यह अनुभव इतना कड़वा था, की इसने गांधी जी की दिशा ही बदल दी | वहाँ उन्होंने अपने भारतीय भाइयों सहयोग से आंदोलन छेड़ दिया | अंततः वहाँ की अंग्रेजी सर्कार को उनकी कुछ बातें स्वीकार करनी पड़ी |

दक्षिण अफ्रीका से उनके सत्याग्रह आंदोलन की गूँज पूरे विश्व में फ़ैल गयी | वे भारत लौटे और यहाँ भी अंग्रेजी शासन के विरुद्ध असहयोग आंदोलन का नेतृत्व किया | यहाँ नेता का वह गुण अह गुण सामने आया, जिसने लाखों-करोड़ों के दिलों में उन्हें जगह दी, सर्वस्व कुर्बान करने का जज़्बा दिया | वह गुना था- जो करने को कहा, उसे पहले स्वयं किया | जेलों में रहें, लाठी-डंडे खाए, उचित समय पर सही निर्णय लेकर उसपर दृढता से चले |

1921 में ‘असहयोग आंदोलन’ शुरू किया | 1930 में ‘नमक कानून’ का विरोध करने के लिए दांडी मार्च किया | 1942 में पुरे जोर-शोर से ‘भारत-छोड़ो आंदोलन’ का मुख मोड़ा | उनकी पुकार पर विद्यार्थीयों ने पढाई और लोगों ने सरकारी नौकरियाँ छोड़ीं और आंदोलन में कूद पड़े

चल पड़े जिधर दो डग मग में

चल पड़े कोटि पग उसी ओर |

✔अंततः
15 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा | गांधी जी की चिर-अभिलाषा पूर्ण हुई, किन्तु विभाजन के ग्रहण ने प्रसन्नता को ग्रस लिया था |

महात्मा गांधी एक राजनेता ही नहीं , समाज सुधारक भी थे | आदर्श नेता के भाँती उन्होंने देश और समाज में व्याप्त हर बुराई को दूर करने का प्रयत्न किया | अछुतोद्धार, नारी-शिक्षा और सांप्रदायिक एकता के लिए वे आजीवन संघर्ष करते रहे | ‘साध्य’ के साथ ‘साधन’ की पवित्रता पर उन्होंने विशेष बल दिया | उनकी यह विशेषता उन्हें महान लोगों की कोटि में ले जाती है |

\huge\bold\pink{THANKS}
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soumili14: please mark me as brainleist
Anonymous: Thanks
Anonymous: marked
soumili14: THANKS
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