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नमस्कार दोस्त ,
(1) यमक अलंकार : - जब एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आए और उसका अर्थ हर बार भिन्न हो , वहाँ 'यमक अलंकार' होता है ।
उदाहरण : -
माला फेरत जुग गया , मिटा न मनका फेर ।
कर का मनका डारि कर , मन का मनक फेर ।।
इसमें मनका - मनका दो बार प्रयुक्त हुए हैं । मनका - माला , मनका - मन । अतः यहाँ 'यमक अलंकार हैं ।
(2) उपमा अलंकार : - जहाँ किसी व्यक्ति , वस्तु की तुलना किसी अन्य वयक्ति या वस्तु से किसी समानता के आधार पर की जाए , वहाँ 'उपमा अलंकार' होता है ।
उदाहरण : -
नील गगन - सा हृदय शांत हो रहा ।
शांत हृदय की तुलना नील गगन से की गई है । अतः यहाँ 'उपमा अलंकार' है ।
(3) उत्प्रेक्षा अलंकार : - जहाँ रूप , गुण आदि की समानता के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए तथा मानो , मनो , जनु , जानो , जनहुँ , ज्यों , मनु आदि शब्दों का प्रयोग किया जाए , वहाँ 'उत्प्रेक्षा अलंकार' होता है ।
उदाहरण : -
ले चला साथ मैं तुझे कनक ,
ज्यों भिक्षु लेकर स्वर्ण कनक ।
उपर्युक्त पंक्ति में 'ज्यों' शब्द द्वारा स्वर्ण कनक (उपमान) से भिक्षुक (उपमेय) की संभावना व्यक्त की गई है । अतः 'उत्प्रेक्षा अलंकार' है ।
(4) रूपक अलंकार : - जहाँ उपमेय और उपमान की अत्यधिक समानता को प्रकट करने के लिए उपमेय और उपमान का अभेद आरोप किया जाता है , वहाँ 'रूपक अलंकार' होता है ।
उदाहरण : -
चरण कमल बंदौ हरिराई ।
ईश्वर के चरण में ही कमल को आरोपित कर दिया गया है । अतः यहाँ 'रूपक अलंकार' है ।
आशा है इससे आपकी मदद होगी ।
(1) यमक अलंकार : - जब एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आए और उसका अर्थ हर बार भिन्न हो , वहाँ 'यमक अलंकार' होता है ।
उदाहरण : -
माला फेरत जुग गया , मिटा न मनका फेर ।
कर का मनका डारि कर , मन का मनक फेर ।।
इसमें मनका - मनका दो बार प्रयुक्त हुए हैं । मनका - माला , मनका - मन । अतः यहाँ 'यमक अलंकार हैं ।
(2) उपमा अलंकार : - जहाँ किसी व्यक्ति , वस्तु की तुलना किसी अन्य वयक्ति या वस्तु से किसी समानता के आधार पर की जाए , वहाँ 'उपमा अलंकार' होता है ।
उदाहरण : -
नील गगन - सा हृदय शांत हो रहा ।
शांत हृदय की तुलना नील गगन से की गई है । अतः यहाँ 'उपमा अलंकार' है ।
(3) उत्प्रेक्षा अलंकार : - जहाँ रूप , गुण आदि की समानता के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए तथा मानो , मनो , जनु , जानो , जनहुँ , ज्यों , मनु आदि शब्दों का प्रयोग किया जाए , वहाँ 'उत्प्रेक्षा अलंकार' होता है ।
उदाहरण : -
ले चला साथ मैं तुझे कनक ,
ज्यों भिक्षु लेकर स्वर्ण कनक ।
उपर्युक्त पंक्ति में 'ज्यों' शब्द द्वारा स्वर्ण कनक (उपमान) से भिक्षुक (उपमेय) की संभावना व्यक्त की गई है । अतः 'उत्प्रेक्षा अलंकार' है ।
(4) रूपक अलंकार : - जहाँ उपमेय और उपमान की अत्यधिक समानता को प्रकट करने के लिए उपमेय और उपमान का अभेद आरोप किया जाता है , वहाँ 'रूपक अलंकार' होता है ।
उदाहरण : -
चरण कमल बंदौ हरिराई ।
ईश्वर के चरण में ही कमल को आरोपित कर दिया गया है । अतः यहाँ 'रूपक अलंकार' है ।
आशा है इससे आपकी मदद होगी ।
RehanAhmadXLX:
Thanks A Lot (Millions Of Ton)
Answered by
5
HEYA!!!!
Here is your answer Rehan Bhai :
______________________________
उपमा अलंकार : जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे व्यक्ति या वस्तु से की जाए वहाँ पर उपमा अलंकार होता है।
रूपक अलंकार :जहाँ पर उपमेय और उपमान में कोई अंतर न दिखाई दे वहाँ रूपक अलंकार होता है।
उत्प्रेक्षा अलंकार :जहाँ पर उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए। अथार्त जहाँ पर अप्रस्तुत को प्रस्तुत मान लिया जाए वहाँ पर उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
जब एक शब्द का प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है।
आशा करता हूँ की ये तुम्हे उपयोग होगा धन्यवाद।
Here is your answer Rehan Bhai :
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उपमा अलंकार : जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे व्यक्ति या वस्तु से की जाए वहाँ पर उपमा अलंकार होता है।
रूपक अलंकार :जहाँ पर उपमेय और उपमान में कोई अंतर न दिखाई दे वहाँ रूपक अलंकार होता है।
उत्प्रेक्षा अलंकार :जहाँ पर उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए। अथार्त जहाँ पर अप्रस्तुत को प्रस्तुत मान लिया जाए वहाँ पर उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
जब एक शब्द का प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है।
आशा करता हूँ की ये तुम्हे उपयोग होगा धन्यवाद।
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