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- लैटरबक्स ऊपर से नीचे पूरा लाल रंग में रँगा था और बड़ों की तरह बात करने के कारण सभी उसे लाल ताऊ कहकर पुकारते थे।
- लाल ताऊ पढ़ा-लिखा, हँस-मुख और मिलनसार था। वह नीरस और उबाऊ वातावरण को भी अपने भजनों से आनंदमय बना देता था। लाल ताऊ अपने अंदर पड़े पत्रों को बोरियत मिटाने के लिए पढ़ लेता था। वह किसी से डरता भी नहीं था। समाज की चिंताएँ भी उसे सताती रहती थी। इन्हीं सब कारणों से लाल ताऊ बाकी पात्रों से भिन्न है।
- नाटक में कौआ ही एक मात्र सजीव पात्र है जिसकी हमें निम्न बातें मजेदार लगी –
- 1. “वह दुष्ट कौन है? पहले उसे नज़र तो आने दीजिए।”
- 2. ताऊ एक जगह बैठकर यह कैसे जान सकोगे? उसके लिए तो मेरी तरह रोज चारों दिशाओं में गश्त लगानी पड़ेगी, तब जान पाओगे यह सब।”
- लड़की बहुत ही छोटी और नादान होने के कारण उसे अपने घर के पते के बारे में और यहाँ तक कि अपने पापा के नाम के बारे में भी कुछ नहीं बता पा रही थी। इसी कारण सभी पात्र मिलकर भी लड़की को उसके घर नहीं पहुँचा पा रहे थे।
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