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मेरा प्रिय त्योहार
होली मेरा सबसे प्रिय त्योहार है । इस दिन घर-घर में उमंग एवं प्रसन्नता छायी रहती है । बाजारों में कई दिनों पूर्व से ही चहल-पहल देखी जा सकती है । मैं होली के अवसर पर माता-पिता के साथ खरीदारी करने जाता हूँ । नये वस्त्र, रंग, अबीर, पिचकारी आदि की खरीदारी करता हूँ । इनके अलावा पकवानों की सामग्री भी खरीदी जाती है । होली के दिन बहुत धूम- धाम रहती है । मैं अपने मित्रों तथा हमउम्र लोगों पर रंग डालता हूँ । मित्र भी मेरे साथ होली खेलते हैं । पिताजी तथा बुजुर्ग माथे पर गुलाल लगाकर मुझे आशीर्वाद देते हैं । फिर पुए-पकवानों को खाने तथा खिलाने का सिलसिला आरंभ होता है । गिन तथा गलियों में लोग खुश होकर नाचते हैं तथा एक-दूसरे पर रंग डालते हैं । इस दिन लोग आपसी वैर और द्वेष भुलाकर एक-दूसरे से गले मिलते हैं । शाम को ढ़ोल-नगाड़े बजाए जाते हैं । लोग गीत गाकर नाचते हैं । मैं इन कार्यक्रमों में उत्साह से भाग लेता हूँ । रंगों का त्योहार होली मुझे बहुत ही आकर्षक लगता है । यह हमें बुराई से दूर रहने तथा अच्छाई के मार्ग पर चलने की शिक्षा देता है ।
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मेरा प्रिय त्योहार
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होली मेरा सबसे प्रिय त्योहार है । इस दिन घर-घर में उमंग एवं प्रसन्नता छायी रहती है । बाजारों में कई दिनों पूर्व से ही चहल-पहल देखी जा सकती है । मैं होली के अवसर पर माता-पिता के साथ खरीदारी करने जाता हूँ । नये वस्त्र, रंग, अबीर, पिचकारी आदि की खरीदारी करता हूँ । इनके अलावा पकवानों की सामग्री भी खरीदी जाती है । होली के दिन बहुत धूम- धाम रहती है । मैं अपने मित्रों तथा हमउम्र लोगों पर रंग डालता हूँ । मित्र भी मेरे साथ होली खेलते हैं । पिताजी तथा बुजुर्ग माथे पर गुलाल लगाकर मुझे आशीर्वाद देते हैं । फिर पुए-पकवानों को खाने तथा खिलाने का सिलसिला आरंभ होता है । गिन तथा गलियों में लोग खुश होकर नाचते हैं तथा एक-दूसरे पर रंग डालते हैं । इस दिन लोग आपसी वैर और द्वेष भुलाकर एक-दूसरे से गले मिलते हैं । शाम को ढ़ोल-नगाड़े बजाए जाते हैं । लोग गीत गाकर नाचते हैं । मैं इन कार्यक्रमों में उत्साह से भाग लेता हूँ । रंगों का त्योहार होली मुझे बहुत ही आकर्षक लगता है । यह हमें बुराई से दूर रहने तथा अच्छाई के मार्ग पर चलने की शिक्षा देता है ।
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सर्दी के मौसम
शीत ऋतु सर्दी के मौसम को कहा जाता है। यह सिर्फ 3-4 महीने के लिए आती है। शीत ऋतु का आगमन दिवाली के बाद नवंबर में ही हो जाता है और धीरे धीरे यह बढ़ती जाती है। सर्दी की शुरूआत तब होती है जब हिमालय पर बर्फबारी होती है और उतर की तरफ से ठंडी हवा चलती रहती है जिससे सर्दी का आगमन होता है। सबसे ज्यादा सर्दी उतर भारत में होती है। सर्दी का मौसम नवंबर से लेकर फरवरी तक रहता हैं। बूढ़ो को सर्दी अधिक लगती है जबकि बच्चे इस सर्दी में भी खेलते कुदते रहते हैं। सर्दी के मौसम में दिन छोटे और रात बड़ी होती है और शाम को अंधेरा बहुत जल्दी हो जाता है। सुबह और शाम के समय कोहरा छाया रहता है और ठंड ज्यादा लगती है। सर्दी के मौसम में ही क्रिसमस और न्यु ईयर का त्योहार आता है।
इस मौसम में लोग ऊनी कपड़े पहनना शुरू कर देते हैं और सिर से पाँव तक ढक कर रखते हैं। यह मौसम अपने साथ खाँसी जुकाम जैसी कई बिमारियाँ लेकर आता है जिससे बचने के लिए लोग सिर पर टॉपी, हाथों में दस्ताने और पैरों में जुराब पहन कर रखते हैं। रात को लोग रजाईयाँ और कम्बल ओढ़ कर सोते हैं।
इस समय लोग ठंडा पानी और ठंडी चीजों के सेवन को त्याग कर गर्म व्यंजनों की तरफ आकर्षित होते हैं। सर्दियों में सूर्य बड़ा दिखाई देता है और इसकी गर्मी से ठंड में राहत मिलती हैं। सर्दी में गर्मी का अहसास करने के लिए लोग गुड़ और तिल से बनी मिठाईयों का सेवन करते हैं। सर्दी के मौसम में सब्जियाँ ज्यादा होती है और हम ज्यादा पौष्टिक तत्व प्राप्त कर सकते है। ज्यादा सर्दी होने पर स्कूलों में सर्दियों की छुट्टियाँ कर दी जाती है जिससे कि बच्चे आराम से घर पर रहें और सर्दी में बिमार होने से बच सके।
सर्दी में सबसे ज्यादा हानि गरीब लोगों को होती है क्योंकि उनके पास पर्याप्त साधन नहीं होते है ठंड से बचने के लिए। बहुत से गरीब लोग तो ठंड के कारण ही मर जाते हैं। सर्दी में कोहरे के कारण बहुत से एक्सीडैंट भी होते हैं जिससे मृत्यु दर में वृद्धि होती है। लोग रजाई में बैठे रहना और सोना पसंद करते हैं। सर्दी के मौसम में लोग आराम करना पसंद करते हैं। सर्दी के कारण ज्यादातर लोग घरों में ही रहते हैं। बाहर हर तरफ शांति रहती है जिस वजह ये हल्की सी आवाज भी साफ सुनाई देती है।
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