please answer my question..
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परोपकार का अर्थ है औरों का उपकार। यदि हम अपने चारों ²ष्टि डालें तो प्रकृति में प्रत्येक तत्व परोपकार करता ²ष्टिगोचार होता है। कहा भी गया है तरुवर फल नहीं खात है, नदी न संचै नीर। परमारथ के करने, साधु न धरा शरीर।। यानि वृक्ष कभी अपना फल नहीं खाते, नदियां मनुष्य, पशु पक्षी, एवं पेड़ पौधों को जीवन देने के लिए निरंतर बहती रहती है। सूर्य प्रत्येक दिवस ऊर्जा प्रदान करने के लिए उदित होता है। हवा, प्राण, वायु बनकर सभी को नवजीवन प्रदान करती है। रात में चन्द्रमा शीतलता प्रदान करता है अर्थात केवल अपना सोचना व अपने परिवार के बारे में विचार करना एक संकुचित सोच है। जिसकों व्यापक करने की नितांत आवश्यकता है।
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