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i will put the one in the brainliest who told the answer first and if i liked the answer
my question is can any one give me a paragraph on brashtachar [corruption}in hindi
please answer it as fast as possible
Answers
Answer:
आज के आधुनिक युग में व्यक्ति का जीवन अपने स्वार्थ तक सीमित होकर रह गया है । प्रत्येक कार्य के पीछे स्वार्थ प्रमुख हो गया है । समाज मे अनैतिकता, अराजकता और स्वार्थ से युत) भावनाओं का बोलबाला हो गया है । परिणाम स्वरूप भारतीय संस्कृति और उसका पवित्र तथा नैतिक स्वरूप कुंभला-सा हो गया है ।
इसका एक कारण समाज में फैल रहा भ्रष्टाचार भी है । भ्रष्टाचार के इस विकराल रुप को धारण करने का सबसे बड़ा कारण यही है कि इस अर्थप्रधान युग में प्रत्येक ब्यूक्ति धन प्राप्त करने में लगा हुआ है । कमरतोड महंगाई भी इसका एक प्रमुख कारण है ।
मनुष्य की आवश्यकताएँ बढ जाने के कारण वह उन्हें पूरा करने के लिए मनचाहे तरीकों को अपना रहा है । भारत के अंदर तो भ्रष्टाचार का फैलाव दिन-भर-दिन बढ़ रहा है । किसी भी क्षेत्र में चले जाएं भ्रष्टाचार का फैलाव दिखाई देता है । भारत के सरकारी व गैर-सरकारी विभाग इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण हैं ।
आप यहाँ से अपना कोई भी काम करवाना चाहते हैं, बिना रिश्वत खिलाए काम करवाना संभव नहीं है । मंत्री से लेकर संतरी तक को आपको अपनी फाइल बढ़ताने के लिए पैसे का उपहार चढाना ही पड़ेगा । स्कूल व कॉलेज भी इस भ्रष्टाचार से अछूते नहीं है ।
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भ्रष्टाचार पर निबंध
भ्रष्टाचार शब्द भ्रष्ट और आचार से मिलकर बना है | जहां भ्रष्ट का अर्थ है बुरा या बिगड़ा हुआ और आचार का अर्थ है आचरण अर्थात भ्रष्टाचार शब्द का अर्थ यह है कि ऐसा आचरण जो किसी प्रकार से अनैतिक और अनुचित हो|
हमारे देश में भ्रष्टाचार दिनों दिन बढ़ता जा रहा है | यह हमारे समाज और राष्ट्र के सभी अंगों को बहुत गंभीरता पूर्वक प्रभावित किए जा रहा है | समाज, धर्म, राजनीति, संस्कृति, साहित्य, दर्शन, उद्योग, प्रशासन आदि में भ्रष्टाचार आज इतनी अधिक हो चुकी है कि इससे मुक्ति मिलना बहुत कठिन लग रहा है| चारों ओर दुराचार, व्यभिचार, अनाचार, अत्याचार आधी सभी कुछ भ्रष्टाचार के ही अवयव प्रतीत होता है| इन्हें हम अलग-अलग नामों से जानते हैं लेकिन वास्तव में वे सब भ्रष्टाचार की जड़े ही हैं|
भ्रष्टाचार के कई कारण हो सकते हैं| भ्रष्टाचार में असंतोष एक मुख्य कारण है| जब किसी को कुछ अभाव होता है और उसे वह जल्दी प्राप्त करने की इच्छा होती है तब वह भ्रष्टाचार को अपनाने के लिए विवश हो जाता है| भ्रष्टाचार का दूसरा बड़ा कारण है लोग और लालच| अन्याय और निष्पक्षता के अभाव में भी भ्रष्टाचार का जन्म होता है| इसी प्रकार जातीयता, देश, भाषावाद, क्षेत्रीय ता, संप्रदायिकता आदि के फल स्वरुप भ्रष्टाचार का जन्म होता है|