Hindi, asked by rkaurgill0469, 8 hours ago

please answer the question ​

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Answered by bhspratyush
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Answer:

apne project ke topics yaha post na karen. aur yeh topic mein phtot chipkane hain , apne se dhoondh kar kariye.

Explanation:

पर्वतारोहण - एक जुनून

यह एक जुनून है। पहाड़ पर चढ़ना जान जोखिम में डालने जैसी चुनौती है, जिसमें खतरा और कठिनाई शामिल है। पहाड़ पर चढ़ना हर किसी के बस की बात नहीं है, हालांकि कुछ लोग इसे अप्रतिरोध्य मान सकते हैं, साथ ही निराशा और कभी-कभी घातक भी। पहाड़ पर चढ़ना किसी भी शगल या खेल से कहीं अधिक है। बिना जुनून के आप इतना बड़ा फैसला ले ही नहीं सकते।

कौशल की आवश्यकता

एक पहाड़ का दूर का दृश्य रोमांच की बात कर सकता है, लेकिन पहाड़ केवल खुशियों और पहाड़ पर चढ़ने की जद्दोजहद पर ही इशारा नहीं करते हैं। एक पहाड़ पर चढ़ने से पहले बहुत तैयारी, ज्ञान और कौशल प्राप्त करना होता है। पहाड़ पर चढ़ने का वातावरण मानवीय जरूरतों के हिसाब से नहीं होता है और हर कोई इसके लिए तैयार नहीं हो सकता है।

अलग-अलग प्रकार की चढ़ाई

कई अलग-अलग प्रकार की चढ़ाई होती हैं। निचली ऊंचाई के पहाड़ों पर लंबी पैदल यात्रा, मध्यम ऊंचाई के पहाड़ों पर पारंपरिक चढ़ाई, पहाड़ों की चट्टान की दीवारों को स्केल करना, बर्फ पर चढ़ना, ग्लेशियरों पर चढ़ना और अल्पाइन ट्रेकिंग करना शामिल है।

विविध उपकरणों की आवश्यकता

जैसे-जैसे ऊँचाई बढ़ती जाती है चढ़ाई के लिए अतिरिक्त उपकरणों की आवश्यकता पड़ने लगती है। जैसे कि एक कुल्हाड़ी, रस्सियाँ, कैराबाईनर आदि। ग्लेशियरों या बर्फ पर चलने के लिए या रॉक क्लाइम्बिंग के लिए बूट जोकि धातु की प्लेट से बनी होती है, ऊपर चढ़ने और चलने में मदद करती है और फिसलने से बचाती है। साथ ही गैटर (विशेष किस्म का परिधान) का उपयोग करना आवश्यक होता है।

कुल्हाड़ी, चढ़ाई करते वक़्त, एक अमूल्य उपकरण है। इसका उपयोग अतिरिक्त संतुलन के लिए किया जाता है। ऊपर चढ़ते समय यह बर्फ पर पकड़ बनाने में मदद करता है और फिसलने से बचाता है।

निष्कर्ष

पहाड़ पर चढ़ना एक अदम्य साहस का काम है। सच है, यह नसों में उबाल लाने जैसा अनुभव है। जाऩ का ख़तरा होने के बाद भी लोग ऐसा करने की सोच लेते है। बहुतों ने पर्वत पर चढ़ने के दौरान अपनी जान गवांई है। लेकिन अगर जीवन में कुछ कर गुजरने का जज्बा और जुनून हो, तो कुछ भी नामुमकिन नहीं।

‘अरुणिमा सिन्हा’ पर्वतारोहण की जीवंत उदाहरण है। माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली दिव्यांग भारतीय है। बिना इनकी चर्चा के पर्वतारोहण का अध्याय अधूरा है।

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