Economy, asked by koundalpriya908, 1 month ago

please answer these 2 questions please ​

Attachments:

Answers

Answered by begamsabnajbegam
0

Answer:

4 answer :

जनपद में इन दिनों दो रुपए किलो उचित मूल्य की दुकान से मिलने वाली प्याज सेवा सहकारी बैंक प्रबंधकों व सेल्समैनों को अच्छी खासी कमाई का जरिया बन गया है। जिसमें जनपद की उचित मूल्य की दुकानों में 2 रुपए प्रति किलो की दर से बिकने वाली प्याज 3 रुपए किलो बेची जा रही है।

अधिकांश जगहों पर 50 किलो की बोरी बताकर 150 रुपए लिए जा रहे हैं। जबकि वास्तव में बोरी का वजन मात्र 40 से 45 किलो ही निकलता है। इस तरह करीब 80 से 90 रुपए की प्याज की बोरी को 150 रुपए में बेचा जा रहा है। जिससे सेल्समैनों को एक बोरी पर सीधे 50 से 60 रुपए के बचत हो रही है। जबकि शासन के निर्देश हैं कि उचित मूल्य की दुकानों पर केवल 2 रुपए प्रति किलो प्याज बेची जाएगी। दूसरी ओर नोहटा सेक्टर की समिति रोड़ की उचित मूल्य दुकान रोड, सगरा, इमलिया, पटना की पटना मनगुवांघाट, परस्वाहा, बनवार, घटेरा, हरदुआ, लरगुवां, खमरिया समिति के गांव बीजडोंगरी में एक सप्ताह से अधिक समय बीतने के बावजूद भी प्याज की खेप नहीं पहुंची है। शासन के द्वारा प्याज की बिक्री शासकीय उचित मूल्य दुकानों के माध्यम से प्रति परिवार न्यूनतम 10 किलो अधिकतम 50 किलो तक आवश्यकतानुसार बेचने के निर्देश दिए थे। जबकि कलेक्टर ने जिले की सभी राशन दुकानों में तीन दिन में प्याज वितरण के निर्देश दिए थे। लेकिन सेल्समैनों द्वारा खुलेआम सीधे ट्रकों के माध्यम से प्याज बेची जा रही है। जिससे सभी दुकानों तक प्याज नहीं पहुंच पा रही है।

Answered by mk9412423255
0
Is it a ecomomy question?
Similar questions