Hindi, asked by amulyatripathi08, 16 days ago

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Answered by ajaykumarc77aja0
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Explanation:

हमारे शास्त्रों में पेड़ लगाने को बड़ा पुण्य कार्य बताया गया है। एक पेड़ लगाना एक यज्ञ करने के बराबर है। वनों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष लाभों को देखकर उनका संरक्षण करना हमारा कर्त्तव्य है। इस शताब्दी में वनों के विनाश के कारण होने वाले खतरो को भी विज्ञान समझ गया है, इसलिए आधुनिक वैज्ञानिकों ने प्रत्येक सरकार को वनों के संरक्षण की सलाह दी है। इसलिए संसार की प्रत्येक सरकारो ने अपने यहाँ वन संरक्षण की नीति बनाई है। अत्यावश्यक कार्यो के लिए हमें वनों का उपभोग करना चाहिए।

वनों की कटाई से जहाँ प्रत्यक्ष लाभ होता है वहाँ अप्रत्यक्ष हानि होती है। वनों से प्रत्यक्ष लाभ कुछ ही व्यक्तियों को होता है लेकिन अप्रत्यक्ष हानि सारे जीव-जगत को होती है। इसलिए वनों का संरक्षण अत्यावश्यक है। वनों के संरक्षण के लिए सरकार भी उत्तरदायी है। क्योंकि वनों के अस्तित्व का सार्वकालिक महत्त्व एवं आवश्यकता है, इसलिए हर प्रकार से उनका संरक्षण होते रहना भी परमावश्यक है। केवल संरक्षण ही नहीं, क्योंकि कम-अधिक हम उन्हें काट कर उनका उपयोग करने को भी बाध्य हैं। इस कारण उन का नव-रोपण और परिवर्द्धन करते रहना भी बहुत जरूरी है। प्रकृति ने जहाँ जैसी मिट्टी है, जहाँ की जैसी आवश्यकता है, वहाँ वैसे ही वन लगा रखे हैं। हमें भी इन बातों का ध्यान रख कर ही नव वक्षारोपण एवं सम्वर्द्धन करते रहना है ताकि हमारी धरती, हमारे जीवन का सन्तुलन एवं शोभा बनी रहे। हमारी वे सारी आवश्यकताएँ युग-युगान्तरों तक पूरी होती रहें जिनका आधार वन हैं। इनकी रक्षा और जीविका भी आवश्यक थी, जो वनों को संरक्षित करके ही संभव एवं सुलभ हो सकती थी। आज भी वस्तु स्थिति उसमे बहुत अधिक भिन्न नहीं है। स्थितियों में समय के अनुसार कुछ परिवर्तन तो अवश्य माना जा सकता है। पर जो वस्तु जहाँ की है, वह वास्तविक शोभा और जीवन शक्ति वहीं से प्राप्त कर सकती है। इस कारण वन संरक्षण की आवश्यकता आज भी पहले के समय से ही ज्यों की त्यों बनी हुई है।

इस सारे विवेचन-विश्लेषण से यह स्पष्ट हो जाता है कि वन संरक्षण कितना आवश्यक, कितना महत्त्वपूर्ण और मानव-सृष्टि के हक में कितना उपयोगी है या हो सकता है। लोभ-लालच में पड़कर अभी तक वनों को काट कर जितनी हानि पहुँचा चुके हैं। जितनी जल्दी उसकी क्षतिपूर्ति कर दी जाए, उतना ही मानवता के हित में रहेगा, ऐसा हमारा दृढ़ विश्वास है।

उपसंहार

वन मानव जाति के लिए एक वरदान है। वन प्रकृति का एक सुंदर सृजन हैं। भारत को विशेष रूप से कुछ सुंदर जंगलों का आशीष मिला है जो पक्षियों और जानवरों की कई दुर्लभ प्रजातियों के लिए घर हैं। वनों के महत्व को पहचाना जाना चाहिए और सरकार को वनों की कटाई के मुद्दे पर नियंत्रण के लिए उपाय करना चाहिए। पेड़ लगाने के बराबर संसार में कोई पुण्य कार्य नहीं है, क्योंकि पेड़ से अनेकों जीवो का उद्धार होता है, दुश्मन को भी वह उतना ही लाभ पहुँचाते है। वन पर्यावरण का एक अनिवार्य हिस्सा है। हालांकि दुर्भाग्य से मनुष्य विभिन्न प्रकार के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए पेड़ों को काट रहा है, जिससे पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है। पेड़ों और जंगलों को बचाने की आवश्यकता को और अधिक गंभीरता से लिया जाना चाहिए। इस प्रकार मानव जाति के अस्तित्व के लिए वन महत्वपूर्ण हैं। ताजा हवा से लेकर लकड़ी तक जिसका इस्तेमाल हम सोने के लिए बिस्तर के रूप में करते हैं – यह सब कुछ जंगलों से प्राप्त होता है। इसलिए मानव को रोगों से, प्रदूषण से बचाने के लिए पेड़ों की सख्या बढ़ानी चाहिए। हमारी सरकार को भी वनों की सुरक्षा करनी चाहिए और उनकी वृद्धि के लिए नए पेड़ लगाने चाहिए। जीव जगत की वृद्धि के साथ पेड़ों की भी वृद्धि होनी चाहिए।

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