Hindi, asked by kimmyplaysrblx, 2 months ago

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Answered by parasmalj981
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बढ़ती जनसंख्या की विकरालता का सीधा प्रभाव प्रकृति पर पड़ता है जो जनसंख्या के आधिक्य से अपना संतुलन बैठाती है और फिर प्रारम्भ होता है असंतुलित प्रकृति का क्रूरतम तांडव जिससे हमारा समस्त जैव मण्डल प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता। इस बात की चेतावनी आज से सैकड़ों वर्ष पूर्व माल्थस नामक अर्थशास्त्री ने अपने एक लेख में दी थी। इस लेख में माल्थस ने लिखा है कि यदि आत्मसंयम और कृत्रिम साधनों से बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित नहीं किया गया तो प्रकृति अपने क्रूर हाथों से इसे नियंत्रित करने का प्रयास करेगी।

यदि आज हम अपने चारों ओर के वातावरण के संदर्भ में विचार करें तो पाएँगे कि प्रकृति ने अपना क्रोध प्रकट करना प्रारम्भ कर दिया है। आज सबसे बड़ा संकट ग्रीन हाउस प्रभाव से उत्पन्न हुआ है, जिसके प्रभाव से वातावरण के प्रदूषण के साथ पृथ्वी का ताप बढ़ने और समुद्र जल स्तर के ऊपर उठने की भयावह स्थिति उत्पन्न हो रही है। ग्रीन हाउस प्रभाव वायुमण्डल में कार्बन डाईऑक्साइड, मीथेन,

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