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उचित-अनुचित तरीके से धनोपार्जन कर जुगनू की तरह थोड़ी देर तक चमक सकता है। पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण कर मनुष्य मानवता से दूर भाग रहा है। इससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। प्रकृति का संतुलन, बिगड़ने से मानव का विनाश निश्चित है। भारतीय दर्शन, अध्यात्मवाद और प्रकृति का अटूट संबंध रहा है, क्योंकि अध्यात्मवाद ईश्वर से सम्बन्ध रखता है और ईश्वर प्रकृति का प्रेरक नियन्ता संचालक है। प्राणीमात्र के लिए ईश्वर ने जीवन रक्षक वस्तुएं निश्शुल्क प्रदान की है, लेकिन उन पर अपना एकाधिकार समझकर उनका दुरुपयोग हो रहा है और उसके नियंता ईश्वर को भूल गया। पंडित विद्यासागर ने बताया कि पिछले 40 वर्ष से निरन्तर हर वर्ष निर्वाण उत्सव मनाया जाता है, जिसमें तीन दिन स्वामी शिव चैतन्यपूरी महाराज प्रवचन करते हैं। समापन पर भंडारे का आयोजन किया जाता है। देश में स्वामी प्रेमपुरी के नाम से 15 शाखाएं हैं।