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Answer:
कबीर सन्त कवि और समाज सुधारक थे। उनकी कविता का एक-एक शब्द धर्म के नाम पर ढोंग को ललकारता हुआ आया और असत्य व अन्याय की पोल खोल धज्जियाँ उडाता चला गया।
भाषा और शैली
हिन्दी साहित्य के हज़ार वर्षों के इतिहास में कबीर जैसा व्यक्तित्व लेकर कोई लेखक उत्पन्न नहीं हुआ। महिमा में यह व्यक्तित्व केवल एक ही प्रतिद्वन्द्वी जानता है, तुलसीदास।
कबीरदास ने बोलचाल की भाषा का ही प्रयोग किया है। भाषा पर कबीर का जबरदस्त अधिकार था। वे वाणी के डिक्टेटर थे।
कबीर की रचनाओं में अनेक भाषाओं के शब्द मिलते हैं यथा - अरबी, फ़ारसी, पंजाबी, बुन्देलखंडी, ब्रजभाषा, खड़ीबोली आदि के शब्द मिलते हैं इसलिए इनकी भाषा को 'पंचमेल खिचड़ी' या 'सधुक्कड़ी' भाषा कहा जाता है। प्रसंग क्रम से इसमें कबीरदास की भाषा और शैली समझाने के कार्य से कभी–कभी आगे बढ़ने का साहस किया गया है।
Explanation:
ʜᴏᴘᴇ ᴛʜɪs ᴄᴏᴜʟᴅ ʜᴇʟᴘ ʏᴏᴜ.....ᵐᵃʳᵏ ᵐᵉ ᵃˢ ᵇʳᵃⁱⁿˡⁱˢᵗ ✰✰ and ᵗʰᵃⁿᵏˢ♡︎ ᵐʸ ᵃⁿˢʷᵉʳˢ
Answer:
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