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1. प्रेमचन्द भाषा सिलपकार कहना उचित है क्योंकि जिस प्रकार उन्होंने दो बैलों की कथा में अपनी भाषा का परिचय दिया वह अद्भुत है जिसमें दो बेजुबान पशुओं की मन की दशा को प्रेमचन्द जी ने ऐसे शब्दों में प्रस्तुत किया है कि वह उन बेजुबान की बात को सभी के मन तक पहुंचा पाए।
2. दो बैलों की कथा में एक अंश हैं जब हीरा और मोती कंजीहाउस से भाग रहे होते हैं तब मोती से रस्सी तोड़ी नहीं जाती परंतु हीरा तोड़ लेता परंतु फिर भी वहां से नहीं जाता क्योंकि उसका दोस्त उस जगह पर फंसा हुआ है। जिसे छोड़कर वह नहीं जा सकता। इसलिए वह अपनी फिक्र न करते हुए अपने दोस्त के बिना वहां से हिलता भी नहीं है। जो की एक सच्ची दोस्ती को दर्शाता है कि दोस्त केवल सुख में साथ देने के लिए नहीं होने चाहिए उन्हें दुःख में भी साथ देना चाहिए।
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