Hindi, asked by Rijuta13, 4 months ago

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Answered by himanisharma2292004
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प्रस्तुत पंक्ति में गोपियाँ कृष्ण पर व्यंग्य कसती हैं। वे कहती हैं कि कृष्ण प्रेम के वशीभूत होकर एक साधारण बाँसुरी को बजाते समय अपनी गर्दन झुका देते हैं। भाव यह है कि कृष्ण बाँसुरी बजाते समय गर्दन को हल्का झुका लेते हैं। गोपियाँ चूंकि बाँसुरी से सौत के समान डाह रखती हैं। अतः वे बाँसुरी को औरत के रूप में देखते हुए उन पर व्यंग्य कसती हैं। वे नहीं चाहती कि कृष्ण बाँसुरी को इस प्रकार अपने होटों से लगाए। बाँसुरी को कृष्ण का सामिप्य मिल रहा है, गोपियों को यह भाता नहीं है।

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Answered by nidhigoel0880
1

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