Hindi, asked by deepu12345678, 2 days ago

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Answered by jitendragurav097
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Explanation:

भारत में भ्रष्टाचार चर्चा और आन्दोलनों का एक प्रमुख विषय रहा है। स्वतंत्रता के एक दशक बाद से ही भारत भ्रष्टाचार के दलदल में धंसा नजर आने लगा था और उस समय संसद में इस बात पर बहस भी होती थी। 21 दिसम्बर 1963 को भारत में भ्रष्टाचार के खात्मे पर संसद में हुई, बहस में डॉ राममनोहर लोहिया ने जो भाषण दिया था वह आज भी प्रासंगिक है। उस वक्त डॉ लोहिया ने कहा था सिंहासन और व्यापार के बीच संबंध भारत में जितना दूषित, भ्रष्ट और बेईमान हो गया है उतना दुनिया के इतिहास में कहीं नहीं हुआ है।

Answered by jadhavprabhawati1991
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Answer:

भ्रष्टाचार के कई कारण होते हैं। जैसे- मांग व पूर्ति में विषमता, एकाधिकार, निर्णय लेने वाले व्यक्ति की महत्त्वाकांक्षा/लालच, निम्न प्रजातांत्रिक पारदर्शिता, अफसरशाही का वर्चस्व , अदक्ष प्रशासनिक ढांचा, अभिव्यक्ति पर रोक और आर्थिक स्वतंत्रता का अभाव।

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