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हिन्दी अनुवाद की नहीं बल्कि संवाद की भाषा है। किसी भी भाषा की तरह हिन्दी भी मौलिक सोच की भाषा है। मुझे इस बात की खुशी है कि आज सरकार के कर्मचारियों तथा नागरिकों को मौलिक पुस्तक लेखन के लिए पुरस्कार दिये गये हैं।” यह विश्व में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है जो हमारे पारम्परिक ज्ञान, प्राचीन सभ्यता और आधुनिक प्रगति के बीच एक सेतु भी है। हिंदी भारत संघ की राजभाषा होने के साथ ही ग्यारह राज्यों और तीन संघ शासित क्षेत्रों की भी प्रमुख राजभाषा है। संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल अन्य इक्कीस भाषाओं के साथ हिंदी का एक विशेष स्थान है।
देश में तकनीकी और आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ अंग्रेजी पूरे देश पर हावी होती जा रही है। हिन्दी देश की राजभाषा होने के बावजूद आज हर जगह अंग्रेजी का वर्चस्व कायम है। हिन्दी जानते हुए भी लोग हिन्दी में बोलने, पढ़ने या काम करने में हिचकने लगे हैं। इसलिए सरकार का प्रयास है कि हिन्दी के प्रचलन के लिए उचित माहौल तैयार की जा सके।
राजभाषा हिंदी के विकास के लिए खासतौर से राजभाषा विभाग का गठन किया गया है। भारत सरकार का राजभाषा विभाग इस दिशा में प्रयासरत है कि केंद्र सरकार के अधीन कार्यालयों में अधिक से अधिक कार्य हिंदी में हो। इसी कड़ी में राजभाषा विभाग द्वारा प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया जाता है। 14 सितंबर, 1949 का दिन स्वतंत्र भारत के इतिहास में बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसी दिन संविधान सभा ने हिंदी को संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। इस निर्णय को महत्व देने के लिए और हिन्दी के उपयोग को प्रचलित करने के लिए साल 1953 के उपरांत हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है।
14 सिंतबर, 2017 को राजभाषा विभाग द्वारा नई दिल्ली के विज्ञान भवन में हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने देश भर के विभिन्न मंत्रालयों / विभागों/ कार्यालयों के प्रमुखों को राजभाषा कार्यान्वयन में उत्कृष्ट कार्य हेतु पुरस्कृत किया गयाएक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है। बहुत सरल, सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिंदी विश्व की संभवतः सबसे वैज्ञानिक भाषा है जिसे दुनिया भर में समझने, बोलने और चाहने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं।
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