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Answers
कवि श्यामनारायण पाण्डेय वर्णन करते हुए कहते है कि हे मतवाले सन्यासी! तुम प्रातः काल ही पूजा का थाल सजाकर अर्थात् पूजन की सारी सामग्री लेकर किसे पूजने जा रहे हो ? तुम अपने शरीर पर राम नाम से अंकित पीला वस्त्र डालकर अर्थात् पीला राम-नामी वस्त्र ओढ़कर कहाँ चले जा रहे हो ? पूजन की थाली में चन्दन और अक्षत (पूजा के चावल) तथा बगल मे मृग-चर्म का आसन दबाकर तुम कहाँ जा रहे हो ? तुम्हारी यह सजी हुई आरती और जूही की माला किसके पूजन के लिए एवं कहाँ जा रही है ?
विशेष
1. पूजन के माध्यम से मेवाङ के शौर्य एवं स्वाभिमान के प्रति श्रद्धा भाव व्यक्त किया गया है।
2. पूजन की परम्परागत सभी सामग्री का उल्लेख हुआ है।
कवि श्यामनारायण पाण्डेय वर्णन करते हुए कहते है कि हे मतवाले सन्यासी! तुम प्रातः काल ही पूजा का थाल सजाकर अर्थात् पूजन की सारी सामग्री लेकर किसे पूजने जा रहे हो ? तुम अपने शरीर पर राम नाम से अंकित पीला वस्त्र डालकर अर्थात् पीला राम-नामी वस्त्र ओढ़कर कहाँ चले जा रहे हो ? पूजन की थाली में चन्दन और अक्षत (पूजा के चावल) तथा बगल मे मृग-चर्म का आसन दबाकर तुम कहाँ जा रहे हो ? तुम्हारी यह सजी हुई आरती और जूही की माला किसके पूजन के लिए एवं कहाँ जा रही है ?
विशेष
1. पूजन के माध्यम से मेवाङ के शौर्य एवं स्वाभिमान के प्रति श्रद्धा भाव व्यक्त किया गया है।
2. पूजन की परम्परागत सभी सामग्री का उल्लेख हुआ है।