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1 दोहे अर्थात् दो पंक्तियों में लिखे जाने वाला और चौपाई यानी चार पंक्तियों में लिखा जाने वाला । भक्तिकालीन कवियों में तुलसी , मीरा , सूर कबीर आदि ने अपने साहिला के साथ - साथ योहों की भी खुब रचना की । वह युग ऐसा था , जब अनेक प्रकार के धार्मिक मत लोगों को भ्रमित कर रहे थे तथा धर्म के नाम पर पाखंट और अनेक कुरीतियों पनप रही थीं । ऐसे में आवश्यकता थी कि कोई सीको सरल शब्दों में साधारण जनता को सही मार्ग दिखाएं । यह कार्य भक्तिकालीन कवियों ने अपने हाथों में ले लिया । पढ़े - लिखे लोग तो पुस्तकें और गंश पढ़कर अपनी राह तय कर सकते थे पर आन लोगों को समझाने के लिए ऐसी विक्षा की आवश्यकता थी . जो सीधे सरल शब्दों में जीवन का मर्म समझा सके । यह काम दोहों ने किया । दोहे इतने प्रचलित हुए कि लोग उन्हें बातचीत में भी शामिल करने लगे । अपने लघु रूप के कारण ये जनता में सहज ही लोकप्रिय हो गए । अधिकतर दोहे नीति और परोपकार से संबंधित हैं और इन जीवन - मूल्यों की आवश्यकता हर युग में रहेगी ।
1. भाक्तिकालीन युग कैसा था ?
2 कुरीतियों से लड़ने के लिए क्या आवश्यक था ?
3. दोहे जनता में क्यों प्रसिद्ध हुए ?
4. दोहे किन जीवन - मूल्यों से संबंधित है ?
Answers
ANSWES::::::;
1)भक्तिकालीन युग ऐसा था , जब अनेक प्रकार के धार्मिक मत लोगों को भ्रमित कर रहे थे तथा धर्म के नाम पर पाखंट और अनेक कुरीतियों पनप रही थीं|
2)कुरीतियों से लड़ने के लिए आवश्यकता थी कि कोई सीको सरल शब्दों में साधारण जनता को सही मार्ग दिखाएं ।
3) पढ़े - लिखे लोग तो पुस्तकें और गंश पढ़कर अपनी राह तय कर सकते थे पर आन लोगों को समझाने के लिए ऐसी विक्षा की आवश्यकता थी . जो सीधे सरल शब्दों में जीवन का मर्म समझा सके । यह काम दोहों ने किया । दोहे इतने प्रचलित हुए कि लोग उन्हें बातचीत में भी शामिल करने लगे ।
4)अधिकतर दोहे नीति और परोपकार से संबंधित हैं और इन जीवन - मूल्यों की आवश्यकता हर युग में रहेगी ।
✌️✌️✌️✌️BRAINLEIST
1) हिन्दी साहित्य के चार कालों में केवल भक्तिकाल ही अपने सामाजिक, नैतिक साहित्यिक मान्यताओं के कारण स्वर्णकाल कहा जा सकता है। आदिकाल आश्रयदाताओं को प्रशस्ति गान है। वीरगाथाकाल निश्चयतः युद्ध के भयानक जाद, तलवारों की झनझनाहट तथा तीरों के सनसनाहट का युग है। इस काल का साहित्य केवल वीर तथा श्रृंगार रस तक सीमित है।
2) कुरीतियों से लड़ने के लिए आवश्यकता थी कि कोई सीको सरल शब्दों में साधारण जनता को सही मार्ग दिखाएं । 3) पढ़े - लिखे लोग तो पुस्तकें और गंश पढ़कर अपनी राह तय कर सकते थे पर आन लोगों को समझाने के लिए ऐसी विक्षा की आवश्यकता थी . जो सीधे सरल शब्दों में जीवन का मर्म समझा सके ।
3) जो सीधे सरल शब्दों में जीवन का मर्म समझा सके । यह काम दोहों ने किया । दोहे इतने प्रचलित हुए कि लोग उन्हें बातचीत में भी शामिल करने लगे । अपने लघु रूप के कारण ये जनता में सहज ही लोकप्रिय हो गए ।
4) अधिकतर दोहे नीति और परोपकार से संबंधित हैं और इन जीवन - मूल्यों की आवश्यकता हर युग में रहेगी ।