Hindi, asked by gcbag8008, 11 months ago

Please anyone lend your time to answer my question that is write an essay in Hindi on my journey

Answers

Answered by toshupawar445
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Explanation:

छुटटी में हम सब घूमने जाते हैं। हम हर बार नाना-नानी के घर पर जाते हैं। लेकिन इस बार हम हरिद्वार की तीर्थ यात्रा पर गए थे। यह यात्रा हमने ट्रेन से की। हमने वहां पर खूब मस्‍ती की। मेरे परिवार में पापा-मम्‍मी, दादा-दादी और बड़ी दीदी हैं।

हरिद्वार में हमारे गुरुजी का आश्रम है। हरिद्वार में हम सबने गंगाजी में स्‍नान कर आरती का आनंद लिया। हरिद्वार बहुत ही सुंदर तीर्थस्‍थल है। सबसे पहले हम गुरुजी के आश्रम गए। फिर हमने मंदिरों के दर्शन किए। वहां हरि की पौड़ी के सामने मनसा देवी का मंदिर है। दूसरी तरफ पहाड़ी पर चंडी देवी का मंदिर है। हरिद्वार में बहुत सुंदर मंदिर बने हैं।

दर्शनों के बाद हम हरिद्वार से कुछ ही दूरी पर ऋषिकेश गए। वहां राम व लक्ष्मण झूला नामक पुल है। यह पुल गंगा नदी पर बने हैं। पहाड़ों के बीच बहती गंगा नदी का दर्शन बड़ा मनोरम प्रतीत होता है। यहां से खूब बड़े-बड़े पहाड़ दिखते हैं।

हरिद्वार में पवित्र गंगा नदी पर हमने मस्‍ती की। मुझे वहां नई-नई जानकारी मिली।

हरिद्वार में दूर-दूर से श्रद्वालु दर्शन के लिए आते हैं। यहां हर 12 साल में कुंभ का मेला लगता है। कुंभ के मेले में बहुत से साधु-संत आते हैं। हरिद्वार से लगभग कुछ ही दूरी पर ब्रदीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री के पवित्र धाम भी हैं। हमारी यात्रा बहुत ही रोमांचक व यादगार रही।

हमने घूमने का मजा भी लिया और हमारी तीर्थ यात्रा भी हो गई। यहां हमें प्रकृति की सुंदरता देखने को मिली। अब अगली गर्मियों में हम चारधाम की यात्रा पर जाएंगे।

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Answered by tanmaysancheti
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Explanation:

                               मेरे जीवन की सबसे रोचक यात्रा  

मेरी त्रैमासिक परीक्षा समाप्त हो रही थी। परीक्षा की तैयारी करते-करते मेरा जी ऊब गया था। परीक्षा के बाद विद्यालय कुछ दिनों के लिए बंद होनेवाला था, इसीलिए मै परीक्षा समाप्त होते ही अपने गाँव जाने का कार्यक्रम बना रहा था।  

किन्तु इसी बीच स्काउट-अध्यापक ने आकर यह घोषणा की क़ि परीक्षा समाप्ति पर छुट्टियों में स्कॉउटो का एक दल अजंता की गुफाओं की सैर पर जाएगा। इसीलिए जो स्कॉउट जाना चाहे वे अपना नाम लिखवा दे।  स्कॉउट विद्यालय की और से जायेंगे और विद्यालय ही उनका यात्रा-व्यय आदि वहन करेगा।  

अजंता की गुफाओं की सैर करने की लालसा मेरे मन में बहुत दिनों से थी । इसलिए विद्यालय से छुट्‌टी पाते ही अपने घर जाकर मैंने अपने माता-पिता से अजंता जाने की आज्ञा माँगी । माता-पिता ने मुझे सहर्ष आज्ञा दे दी । दूसरे दिन हमने अपने स्काउट-अध्यापक को अजंता जाने के लिए अपना नाम लिखवा दिया ।

इस तरह कुल पचास स्काउट अजंता जाने के लिए तैयार हो गए और रियायती टिकट खरीद लिये गए । अक्तूबर का महीना था । मौसम भी सुहावना था । स्काउट दल को जलगाँव जाना था । जलगाँव मध्य रेलवे का एक छोटा, पर प्रसिद्ध स्टेशन है । यह मुंबई से ४२० कि.मी. की दूरी पर उत्तर-पूर्व की ओर आंध्र प्रदेश में स्थित है ।

वहाँ जाने के लिए मुंबई से कई गाड़ियाँ जाती हैं । अपनी सुविधा के अनुसार हमारे स्काउट-अध्यापक ने रविवार को मुंबर्ड-हावड़ा जनता एक्सप्रेस से प्रस्थान करने का निश्चय किया । वह गाड़ी मुंबई मे सायंकाल ७.३५ बजे छूटती थी और प्रातःकाल लगभग ३.३० पर जलगाँव पहूँच जाती थी ।

रविवार के दिन प्रातःकाल उठकर मैंने जाने की तैयारी शुरू कर दी । अपने सूटकेस में कुछ आवश्यक वस्त्रों के साथ दंत मंजन, ब्रुश, तौलिया, साबुन और तेल आदि रख लिया । होल्डाल में मैंने अपना बिस्तर रखा और एक गिलास । इस तरह साधारण तैयारी कर मैं सायंकाल ६.१५ पर स्टेशन के लिए रवाना हो गया ।

चलते समय पिताजी ने मुझे १०० रुपए देकर सआशीर्वाद विदा किया । ७.०० बजते-बजते मैं स्टेशन पहूँच गया । वहाँ एक निश्चित स्थान पर स्काउट-अध्यापक के साथ मेरे साथी इंतजार कर रहे थे । मेरे पहुँचते ही सबने अपना-अपना सामान उठाया और जाकर गाड़ी में बैठ गए । ठीक समय पर गाड़ी ने सीटी दी और चल पड़ी । उस समय हम लोग बहुत प्रसन्न थे । एक घंटे में हम लोग कल्याण पहुँच गए । वहाँ हम लोगों ने हलका भोजन किया ।

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