Hindi, asked by sadabanis3, 1 year ago

Please explain "Ek phool ki cha" poem by Siyaramsaran Gupta

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Answered by shreya1431
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एक फूल की चाह’ गुप्त जी की एक लंबी और प्रसिद्ध् कविता है।  प्रस्तुत पाठ उसी कविता का अंश मात्रा है। यह कविता तत्कालीन समाज में व्याप्त छुआछूत की समस्या की भयावहता को उजागर करती है। महामारी के दौरान एक चंचल अछूत बालिका अस्वस्थ हो जाती है। उसकी हालत निरंतर बिगड़ती जाती है। मरणासन्न बेटी अपने पिता से कहती है कि उसे मंदिर से देवी के प्रसाद का एक पूफल लाकर दें। पिता असमंजस की स्थिति में है। एक ओर वह अपनी बेटी की अंतिम इच्छा पूरी करना चाहता है तो दूसरी ओर वह अछूत होने के कारण मंदिर में केसे प्रवेश करेगा, वह यह सोचने लगता है। अंत में बेटी की इच्छा पूरी करने के लिए वह दीप-फूल लेकर मंदिर जा पहुँचा है। भक्तों की भीड़ में धक्के खाता हुआ वह आगे पहुँच गया है। उसने दीप और फूल माँ को भेंट चढ़ाए। पूजा के पूफल लेकर वह इतना प्रसन्न एवं भावविभोर हो गया कि पुजारी के हाथों से प्रसाद लेना भूल गया। इतने में वहाँ उपस्थित कुछ लोगों ने उसे पहचान लिया और उसे मार-पीटकर मंदिर के बाहर निकाल दिया। इसी मारपीट के दौरान उसके हाथ से देवी का फूल गिर पड़ा, जिसे वह बेटी को देने के लिए ले जा रहा था। लोगों का आरोप था कि मंदिर में प्रवेश करके इस अछूत ने देवस्थान की पवित्रता को कलुषित कर दिया। अंत में वे सब उसे न्यायालय ले गए, जहाँ उसे सात दिन कारावास की सशा मिली। कारावास का दंड भोगकर सात दिन बाद जब वह बाहर आया, तब उसे पता चला कि उसकी बेटी की मृत्यु हो चुकी  है। वह अपनी बेटी को जीवित न पाकर शमशान तक दौडा़ गया, जहाँ उसके अवशेष राख की ढेरी के रूप में पडे़ थे। अभागे पिता को इस बात का दुख सालता रहा कि न तो वह मरणासन्न बेटी की अंतिम इच्छा पूरी कर सका
आरै न ही उसे अंतिम बार अपनी गोद में ले सका।

shreya1431: your most welcome
sadabanis3: Np
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