Social Sciences, asked by varmaaman227, 8 months ago

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Answered by Aarya0615
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Hey mate... here's your answer...

सभी जानते हैं कि जिस वायुमंडल में हम जीते हैं, सांस लेते हैं, उसमें 78.8% नाइट्रोजन, 20.95% ऑक्सीजन, 0.93% आर्गोन, 0.038% कार्बन डाइआक्साइड व थोड़ी मात्रा में वाष्प होती है। परंतु पृथ्वी में हमेशा से ऐसा नहीं था, पृथ्वी के जन्म के प्रथम चरण में, काफी लम्बे काल तक, वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा नगण्य थी और उसमें जीवों का अभाव था। और यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण तथ्य है कि वायुमंडल में मुक्त ऑक्सीजन की उपस्थिति के पश्चात ही जीवों में विकास की प्रक्रिया संभव हो पाई। जहाँ जंतुओं में ऑक्सीजन उनकी उपापचय क्रियाओं के लिये अति आवश्यक थी, वहीं वनस्पतियों का निर्माण ऐसे रासायनिक घटकों से हुआ जो ऑक्सीजन का निर्माण करते थे।

सभी जानते हैं कि जिस वायुमंडल में हम जीते हैं, सांस लेते हैं, उसमें 78.8% नाइट्रोजन, 20.95% ऑक्सीजन, 0.93% आर्गोन, 0.038% कार्बन डाइआक्साइड व थोड़ी मात्रा में वाष्प होती है। परंतु पृथ्वी में हमेशा से ऐसा नहीं था, पृथ्वी के जन्म के प्रथम चरण में, काफी लम्बे काल तक, वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा नगण्य थी और उसमें जीवों का अभाव था। और यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण तथ्य है कि वायुमंडल में मुक्त ऑक्सीजन की उपस्थिति के पश्चात ही जीवों में विकास की प्रक्रिया संभव हो पाई। जहाँ जंतुओं में ऑक्सीजन उनकी उपापचय क्रियाओं के लिये अति आवश्यक थी, वहीं वनस्पतियों का निर्माण ऐसे रासायनिक घटकों से हुआ जो ऑक्सीजन का निर्माण करते थे।भूवैज्ञानिक समय सारणी के जीवाश्म संबंधी आलेखों पर नजर डालें तो अनेक महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ सामने आती हैं कि किस तरह पृथ्वी में बदलाव के साथ वायुमंडल व जैव मंडल में बदलाव दृष्टिगोचर हुए और जीवन का विकास संभव हो पाया। करीब 4500 मिलियन वर्ष पूर्व पृथ्वी का जन्म माना जाता है, 4500 से 3800 मिलियन वर्ष के बीच का समय अर्थात हेडन कल्प में कोई भी शैल विद्यमान नहीं थी, उसके पश्चात 3800 से 2500 मिलियन वर्ष अर्थात आद्य महाकल्प (आर्कियन) का वायमुंडल आज के वायुमंडल से सर्वथा भिन्न था। एक अपचित वायुमंडल जिसमें मीथेन, अमोनिया, कार्बन मोनोआक्साइड आदि गैसों की प्रमुखता थी जो आज के जीवन के लिये विषैली मानी जाती हैं, इस समय पृथ्वी इतनी ठंडी हो चुकी थी कि शैलों का बनना भी शुरू हो चुका था। इसी समय अंतराल में सर्व प्रथम स्ट्रोमैटोलाइट के अभिलेख मिलते हैं, जैवमंडल व वायुमंडल का यह एक महत्त्वपूर्ण बदलाव था। इसके उत्तरार्ध में वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा 0.1 प्रतिशत तक हो गई। 2500 से .542 मिलियन वर्ष अर्थात प्रोटेरोजोइक कल्प में प्रथम जटिल जीवों की उत्पत्ति हुई, यही वह समय था जिसके उत्तरार्ध में उच्चतर वनस्पतियाँ व जंतु अस्तित्व में आये और इसके अंत होने तक शैलीय प्राणियों का अस्तित्व इस पृथ्वी में आया। वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा इस समय 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ गई थी। विकसित प्राणियों के विकास के साथ ऑक्सीजन की मात्रा का बढ़ना यह दर्शाता है कि जैव विकास व वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा का आपस में गूढ़ संबंध है।

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