Hindi, asked by sivaniyu, 6 months ago

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Answered by sharon1982
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प्रदूषण पर निबंध – Pradushan Essay In Hindi

प्रदूषण का मतलब होता है, जब कुछ दूषित तत्व प्राकृतिक परिवेश में प्रवेश कर जाते हैं और पर्यावरण को प्रदूषित कर देते हैं, जिससे प्राकृतिक संतुलन पूरी तरह बिगड़ जाता है और जिससे न हमें शुद्ध वायु मिलती है, न शुद्द जल मिलता है और न ही शांत वातावरण मिलता है।

जिससे कई तरह की गंभीर समस्याएं पैदा हो जाती हैं। प्रदूषण न सिर्फ हमारी सामान्य जीवन शैली को प्रभावित करता है, बल्कि कई तरह की गंभीर बीमारियों और ग्लोबल वार्मिंग को जन्म भी देता है।

इसमें किसी तरह का कोई शक नहीं है कि आज के मॉडर्न और आधुनिक युग में मनुष्य अपनी सुख-सुविधा के लिए ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल कर रहा है, जिससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है और इसी वजह से प्रदूषण अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया है।

विज्ञान और टेक्नोलॉजी के विकास से जहां मानव क्षमता में भारी वृद्धि हुई हैं तो वहीं लोग अपने द्धारा बनाई गई रचनाओं के गिरफ्त में आ गए हैं, अर्थात आज का इंसान आधुनिकरण और सुख-सुविधाओं का इतना आदि हो गया है कि वह इन संसाधनों के बिना अपने जीवन की कल्पना ही नहीं कर सकता है और मानव निर्मित उपकरण की वजह से ही प्राकृतिक संसाधनों का जमकर हनन हो रहा है और प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ रही है।

इसलिए प्रदूषण की समस्या पर लगाम लगाने की जरुरत है और ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसकी तरफ ध्यान देने की जरूरत है।

प्रस्तावना –

प्रदूषण की समस्या आज पूरी दुनिया की सबसे बड़ी समस्या के रुप में सामने आ रही है। आधुनिक युग में मनुष्य सुख-सुविधाओं का इतना आदि हो गया है कि इसके लिए प्रकृति के साथ छेड़ छाड़ कर रहा है, जिससे प्रदूषण की समस्या उपज रही है।

वहीं अब प्रदूषण का स्तर चरम सीमा पर पहुंच गया है, अगर अब वातावरण को स्वच्छ रखने में ध्यान नहीं दिया तो आगे चलकर पृथ्वी पर रह रहे मनुष्य और जीव-जंतु सभी का आस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए सबसे पहले यह जानना जरुरी है कि आखिर प्रदूषण किन कारणों की वजह से हो रहा है –

प्रदूषण के प्रमुख कारण – Pradushan Ke Karan

प्रदूषण फैलने के कई प्राकृतिक और मानवनिर्मित कारण हैं, दरअसल मानव अपने सुख-सुविधाओं के लिए पेड़-पौधों को लगातार काट रहे हैं, वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है, जिससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है और प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या उपज रही है।

यही नहीं आजकल लोग वाहनों का अत्याधिक इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे वाहनों से निकलने वाला धुआं जहरीली गैस के रुप में हवा से मिल जाता है, जिससे वायु प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

इसके अलावा वाहनों से होने वाले शोर से मनुष्य की सुनने की क्षमता प्रभावित होती है। वहीं शहरों में तेजी से हो रहे औद्योगिकरण से एक तरफ जहां देश के विकास को गति मिली है तो दूसरी तरफ इससे काफी नुकसान भी हो रहा है।

दरअसल औद्योगिक से निकलने वाला कचरा और दूषित अवयव प्राकृतिक जल स्त्रोतों में बहा दिए जाते हैं जिससे प्रदूषण की समस्या को बढ़ावा मिलता है। आधुनिक तकनीक कृषि में जहां सिंचाई में वृद्धि हुई है और उत्तम किस्म की फसल की पैदावार होने लगी है तो वहीं इसके लिए उपयोग किए जाने वाले रसायन और कीटनाशकों से जलस्त्रोतों में प्रदूषण की मात्रा काफी बढ़ जाती है, और इसी दूषित पानी के सेवन से लोग बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं।

निष्कर्ष:

जाहिर है कि, आज विज्ञान और तकनीक ने हमारी जिंदगी को बेहद आसान बना दिया है और मनुष्य कहीं न कहीं इसका आदि हो गया है। जिसकी वजह से अब मनुष्य अपनी सुख-सुविधाओं के लिए प्रकृति के साथ छेड़छाड़ कर रहा है जिससे पर्यावरण पर इसका बेहद बुरा असर पड़ रहा है और प्रदूषण की समस्या उपज रही है।

अर्थात इस समस्या पर जल्द गौर नहीं किया गया तो आने वाले दिनों मे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

Explanation:

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