Please give me a poem on bhayanak ras in HINDI.
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हय–रूण्ड गिरे¸गज–मुण्ड गिरे¸
कट–कट अवनी पर शुण्ड गिरे।
लड़ते – लड़ते अरि झुण्ड गिरे¸
भू पर हय विकल बितुण्ड गिरे।।
चिंग्घाड़ भगा भय से हाथी¸
लेकर अंकुश पिलवान गिरा।
झटका लग गया¸ फटी झालर¸
हौदा गिर गया¸ निशान गिरा।।
कोई नत – मुख बेजान गिरा¸
करवट कोई उत्तान गिरा।
रण – बीच अमित भीषणता से¸
लड़ते – लड़ते बलवान गिरा।।
क्षण भीषण हलचल मचा–मचा
राणा – कर की तलवार बढ़ी।
था शोर रक्त पीने को यह
रण – चण्डी जीभ पसार बढ़ी।।
कट–कट अवनी पर शुण्ड गिरे।
लड़ते – लड़ते अरि झुण्ड गिरे¸
भू पर हय विकल बितुण्ड गिरे।।
चिंग्घाड़ भगा भय से हाथी¸
लेकर अंकुश पिलवान गिरा।
झटका लग गया¸ फटी झालर¸
हौदा गिर गया¸ निशान गिरा।।
कोई नत – मुख बेजान गिरा¸
करवट कोई उत्तान गिरा।
रण – बीच अमित भीषणता से¸
लड़ते – लड़ते बलवान गिरा।।
क्षण भीषण हलचल मचा–मचा
राणा – कर की तलवार बढ़ी।
था शोर रक्त पीने को यह
रण – चण्डी जीभ पसार बढ़ी।।
rashmirbt10:
this poem is in my cousins book
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atpat uljhi latae
daliyo ko khich laye
pear ko pakde achanak
pran ko kasle kapaye
saap si kaali lataye
balla ki pali lataye
daliyo ko khich laye
pear ko pakde achanak
pran ko kasle kapaye
saap si kaali lataye
balla ki pali lataye
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