Hindi, asked by malvika3014, 11 months ago

Please give me an essay on budappa ek abhishap in hindi. Its urgent

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Answered by ishu2307
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बुढापा एक अभिशाप
– बीजेन्द्र जैमिनी
मुझे अपने गाँव की याद आई थी । मैनें जल्दी-जल्दी कार्यालय का काम समाप्त कर के मोटर साईकिल से गाँव की ओर चल दिया –
एक वृद्वा सड़क के किनारे बैठा-बैठा ही आटों वालो को आवाज देकर , रोकने का प्रयास कर रहा था । परन्तु आटों वाले वृद्वा होने के कारण अपने आटों में नहीं बैठा रहे थे । मैनें वृद्वा के पास जा कर पूछा- आप ने कहाँ जाना है ? तभी मेरी नंजर वृद्वा के ऊपर गर्इ तो क्या देखा – यह तो गाँव के स्कूल का हैडमास्टर हुआ करते थे । मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि इस रोड़ पर चलने वाले अधिकतर आटों वाले इन्ही से पढ़ा करते थे । इन को आटों में बैठना तो दूर , इन को आदर तक नहीं देते है । मैनें हैडमास्टर को अपनी मोटर साईकिल पर बैठा कर गाँव ले गया । मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है बस !एक बात ही समझ आती है कि बुढापा एक अभिशाप है । ##
Answered by KrystaCort
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बुढ़ापा एक अभिशाप।

Explanation:

बुढ़ापा मनुष्य के जीवन के तीन भागों में से एक भाग है। बुढ़ापा मनुष्य की उस स्थिति को कहते हैं जब मनुष्य अपनी अधिक आयु में पहुंच जाता है और बूढ़ा हो जाता है।  बुढ़ापा हमेशा से एक अभिशाप नहीं रहा है क्योंकि प्राचीन काल में लोग अपने घर के बूढ़े बुजुर्गों को बहुत अधिक महत्व देते थे और उनकी सेवा कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते थे। जैसे जैसे समय परिवर्तन हो रहा है लोग तरक्की करने लगे हैं वैसे वैसे भी अपने संस्कारों को कहीं ना कहीं भूलते जा रहे हैं। आज के युवा अपने घर के बुजुर्गों को बहुत अधिक महत्व नहीं देते हैं और अपने काम में उनकी दखल अंदाजी जरा भी पसंद नहीं करते हैं।  

बुढ़ापे में कदम रख चुके नौजवानों के माता पिता अपने बच्चों से दूरी बनाने लगते हैं क्योंकि वह उन्हें अपने विचारो के बोझ से परेशान नहीं करना चाहते हैं। आधुनिक युग में बुढ़ापा बूढ़े लोगों के लिए एक अभिशाप बनकर उभर रहा है।  

आज के विश्व में लोग अपने बूढ़े बुजुर्गों को सम्मान देना तो दूर घर में देखना तक नहीं चाहते हैं। नौजवान अपने एकल परिवार में रहना चाहते हैं और अपने माता-पिता की सेवा से बचकर रहना चाहते हैं। अपने माता-पिता के बोझ अपने ऊपर नहीं उठाने की चाह में यह नौजवान अपने माता पिता को उनके बुढ़ापे में वृद्धाश्रम छोड़ आते हैं जहां वे अपना जीवन व्यतीत करते हैं।  

नौजवान अपने माता पिता की खैरो खबर भी नहीं लेते हैं और ना ही उनसे कभी प्रेम से दो शब्द बात करते हैं जिस वजह से बूढ़े मां-बाप को अपना जीवन एक अभिशाप लगने लगता है। जो नौजवान अपने माता-पिता को अपने साथ संयुक्त परिवार में रखते हैं वे भी अपने माता-पिता को अपने ऊपर बोझ समझते हैं और केवल उन्हें ताने मारते हैं या कोसते रहते हैं।  

यदि कभी भी माता-पिता अपने बच्चे से किसी प्रकार के अच्छे पकवान या अच्छे जीवन की मांग करते हैं तो बच्चे उन्हें ही गलत ठहरा कर उन्हें कोसने लगते हैं। इन सब परिस्थितियों से परेशान होकर बूढ़े माँ-बाप कई बार अपने इस बुढ़ापे के अभिशाप को अपनी जान देकर भी खत्म करने का प्रयास करते हैं। आज के युग में बुढ़ापा एक अभिशाप बन गया है क्योंकि युवा लोग अपने माता पिता को अपने ऊपर एक बोझ के रूप में देख रहे हैं और उनके विचारों को अपने ऊपर एक बंदिश के तौर पर लेते हैं।

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