Hindi, asked by hello123vedskp2007, 5 months ago

please give me answer​

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Answered by Anonymous
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प्रिय मित्र,

   राकेश,

 

तुम्हारा पत्र मिला। तुम्हारी कुशलता जानकर मन को प्रसन्नता मिली । तुम्हारी शिकायत है कि मैं तुम्हें बहुत दिनों से पत्र नही लिखा हूँ। शायद तुम्हें नहीं पता कि गत १३ जनवरी को मेरे साथ एक भयंकर दुर्घटना घटी जिसके कारण मुझे महीने भर अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। १४ ता: को हमलोग गंगा सागर से लौट रहे थे। घर लौटते समय जब कलकत्ता पहुँचे तो हमलोगों ने राहत की सांस ली कि चलो सागर यात्रा सफलता पूर्वक संपन्न हुई। पर विधाता को कुछ और ही मंजूर था।

वहां से एस्प्लानेड बस स्टैंड में उतरने के बाद जब घर रवाना हुए तो सड़क पार करते समय परस्पर आगे निकलने की होड़ में एक मिनी बस ने मुझे ठोकर मार दिया। मेरी किस्मत अच्छी थी कि ठोकर लगते-लगते बस चालक ने ब्रेक ले ली और बस के अग्र भाग से चोट खाकर में सड़क पर गिर गया।

कमर और घुटने में अत्यधिक चोट आने के कारण में चलने में असमर्थ था। दुर्घटना के समय परिवार के अन्य सदस्य भी मौजूद थे। लोगों ने बस ड्राइवर की जमकर पिटाई की और बस को थाने पहुंचा दिया गया। किन्तु इससे मेरी पीड़ा कम नही हुई। मुझे अस्पताल में महीने भर रहना पड़ा। वहां योग्य डॉक्टरों ने निरीक्षण कर बताया कि अत्यधिक चोट है। और मामूली जख्म 1 अन्दर घुटने की हड्डी में सूजन आ गया था। डॉक्टरों ने दवाई और ट्रेक्सन के द्वारा उपचार किया। महिने भर बाद हॉस्पीटल से छुट्टी मिल गई। किन्तु अभी भी मैं पूर्ण रूप से स्वस्थ नही हो पाया हूं। अभी भी घुटने और कमर में दर्द है।

मैं किस्मत वाला था। और शुभेच्छुओं की शुभकामनाएं मेरे साथ थी। इसलिए मैं बच गया। किन्तु यह दुर्घटना मुझे जीवनभर याद रहेगी। मैं इश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि ऐसा दुर्दिन किसी को न देखना पड़े। बड़ों को मेरा प्रणाम कहना और छोटों को आशिर्वाद।

तुम्हारा मित्र

राहुल

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Answered by itzcutie44lovely
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