Hindi, asked by harshakava, 3 months ago

please give me answer
chapter 5 दोहे ​

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Answered by Anonymous
1

Answer:

जो दिल खोजौं आपना मुझ-सा बुरा न कोय- कबीर ने ऐसा क्यों कहा?

उत्तर:

मनुष्य में भलाई और बुराई का मिश्रण होता है। परंतु, मनुष्य अपनी बुराई को छिपाकर दूसरों की बुराई बताते फिरता है। अपने आपको सुधारने को हमें ज्यादा ध्यान देना चाहिए। दूसरों की बुराई खोज देखने के लिए हमें इच्छुक न रहना चाहिए। संक्षेप में कबीर का मत है अपने को पहचानना सच्चे ज्ञानी का लक्षण है।

प्रश्न 2.

प्रभुता का महत्व समझाने के लिए कबीर ने किसका सहारा लिया है?

उत्तर:

चींटी का।

 

प्रश्न 3.

दुख काहे होयइससे क्या तात्पर्य है?

उत्तर:

सुख और दुख जीवन के सत्य हैं। दुख में सब लोग आश्रय की याद करते हैं। तब दुःख कम हो जाता है। लेकिन सुख आने पर लोग उसी आश्रय को भूल जाते हैं। कबीर के अभिप्राय में यह कृतघ्नता और अज्ञता से होता है।

प्रश्न 4.

सच्चा शूर कैसे बनता है?

उत्तर:

जिसे जाति, वर्ण, कुल आदि के भेदभाव की चिंता नहीं, वही सच्चा शूर है। दूसरे शब्तों में समभाव की भावना रखनेवाला सच्चा शूर बनता है।

दोहे अनुवर्ती कार्य

प्रश्न 5.

समानार्थी शब्द दोहे से ढूँढ़ लें।

कोई, शूर, संभाला, ढूँढ़ना, धूलि, वर्ण, स्मरण, क्यों, मिला

उत्तर:

कोई = कोय

शुर = सूरमा

संभाला = समाय

ढूँढना = खोजौं

धूली = धूरि

वर्ण = बरन

स्मरण = सुमिरन

क्यों = काहे

मिला = मिलिया

प्रश्न 6.

समान आशयवाला चरण दोहे से चुन लें।

a. दूसरा कोई भूखा न रहे।

b. सुख में कोई स्मरण नहीं करता।

c. मैं बुरे लोगों को ढूँढ़ने निकला।

d. हाथी के सिर पर धूलि है।

e. काम, क्रोध और लालच से भक्ति नहीं होती।

उत्तर:

a. साधु न भूखा जाय।

b. सुख में करे न कोय

c. बुरा जो देखन मैं चला

d. हाथी के सिर धूरि

e. कामी, क्रोधी, लालची, इनते भक्ति न कोय

 

प्रश्न 7.

व्याख्या करें-

साई इतना दीजिए, जामें कुटुंब समाय।

मैं भी भूखा न रहूँ, साधु न भूखा जाय।।

उत्तर:

यह दोहा निर्गुण भक्त कवि कबीरदास का है। कवि भगवान से केवल यह प्रार्थना करते हैं कि अपने कुटुंब को संभालने के धन मिल जाये। कवि की प्रार्थना है कि संवयं कभी भी भूखा न रहे और संसार में कोई भी भूखा न रहे। मनुष्य में सदा धन और संपत्ति का लालच रहता है। वह संपत्ति के पीछे दोड़ता रहता है। घन के प्रति मनुष्य में जो लालच है, उसे सीमित और नियंत्रित रखने का उपदेश कवि यहाँ देते हैं।

प्रश्न 8.

ये तत्व किन-किन दोहों से संबंधित हैं?

a. अहं दूर होने से महत्व बढ़ता है।

b. सुख और दुख में स्मरण करना है।

c. अपने को पहचाननेवाला सच्चा ज्ञानी है।

d. जीवन की शांति सादगी में है।

e. समभाव शूर का लक्षण है।

उत्तर:

a. प्रभुता से प्रभु दूरि

b. जो सुख में सुमिरन करै, तो दुःख काहे होय

c. जो दिल खोजौं आपना, मुझ-सा बुरा न कोय

d. लघुता से प्रभुता मिले

e. भक्ति करै कोई सूरमा।, जाति, बरन कुल खोय।।

 

प्रश्न 9.

‘जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे होय’- अपना विचार प्रकट करें।

उत्तर:

यह दोहा संत कवि कबीरदास का है। निर्गुण भक्ति शाखा के प्रमुख कवि कबीरदास कहते हैं कि हमें सुख और दुःख दोनों में ईश्वर का स्मरण समभाव से करना चाहिए। मनुष्य साधारणतः केवल दुःख आते समय ईश्वर से प्रार्थना करते हैं। सुख में ईश्वर से भक्ति रखनेवाला दुर्लभ होता है। कबीर के अभिप्राय में सुख में ईश्वर का स्मरण करनेवाले को दुःख कभी भी नहीं होता। अंधविश्वास को दूर करके सच्छी भक्ति की ओर मन रखने को कबीर इस दोहा द्वारा उपदेश देते हैं।

प्रश्न 10.

‘कबीरदास की रचनाएँ कालजयी एवं प्रासंगिक हैं’- इस विचार से जुड़े दोहों का संकलन करके प्रस्तुत करें। कबीर के दोहों का आलाप करें।

उत्तर:

काल्हि करै सो आज कर, आज करै सो अब

पल में परलय होयगा, बहुरि करैगा कब।।

पाहन पूजै हरि मिलै, तो मैं पूनँ पहार

ताते या चाकि भलि, पीस खाय संसार।।

मुंड़ मुड़ाए हरि मिलै, सब कोई लेय मुड़ाय।

बार-बार के मुँड़ते, भेड़ न बैकुंड जाय।।

तेरा साई तुझ में, ज्यों पुहुपन में बास।

कस्तूरी का मिरग ज्यों, फिरि फिरि ढूँदै घास।।

माखी गुड़ में गड़ि रही, पंख रह्यो लिपटाय।

हाथ

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