Hindi, asked by sonarai44glow, 1 month ago

please give me right answer of this all question​

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Answered by AngelHearts
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\huge\sf\orange{Answer :}

  • गई ना सीधी राह से कवयित्री का तात्पर्य यह है कि वह जिस परमात्मा ने उसे सरल और सहज भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए इस संसार में भेजा था और उसी सरल और सहज मार्ग पर चलकर वह ईश्वर को प्राप्त कर सकती थी, लेकिन उसने ईश्वर को प्राप्त करने के लिए सरल और सहज मार्ग अपनाने की बजाय साधनाओं वाला टेढ़ा-मेढ़ा मार्ग

  • सुषुम-सेतु' से तात्पर्य है-हठयोग में सुषुम्ना नाड़ी की साधना। इस कठिन साधना के बाद भी ईश्वर प्राप्ति की निश्चितता नहीं होती।

  • सर्वव्यापी ईश्वर को मनुष्य इसलिए नहीं खोज पाता, क्योंकि वह उसके असली स्वरूप को नहीं पहचान पाता। ... ईश्वर खोजने की वस्तु नहीं है, वह अहसास करने की भावना है। आपके अंदर भी ईश्वर का एक छोटा अंश आत्मा के रूप में बसा हुआ है।

Answered by uniquename
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Answer:

गई ना सीधी राह से कवयित्री का तात्पर्य यह है कि वह जिस परमात्मा ने उसे सरल और सहज भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए इस संसार में भेजा था और उसी सरल और सहज मार्ग पर चलकर वह ईश्वर को प्राप्त कर सकती थी, लेकिन उसने ईश्वर को प्राप्त करने के लिए सरल और सहज मार्ग अपनाने की बजाय साधनाओं वाला टेढ़ा-मेढ़ा मार्ग

सुषुम-सेतु' से तात्पर्य है-हठयोग में सुषुम्ना नाड़ी की साधना। इस कठिन साधना के बाद भी ईश्वर प्राप्ति की निश्चितता नहीं होती।

सर्वव्यापी ईश्वर को मनुष्य इसलिए नहीं खोज पाता, क्योंकि वह उसके असली स्वरूप को नहीं पहचान पाता। ... ईश्वर खोजने की वस्तु नहीं है, वह अहसास करने की भावना है। आपके अंदर भी ईश्वर का एक छोटा अंश आत्मा के रूप में बसा हुआ है।

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