Please give me Summary of Chapter 15 hindi book kshitiz Class 10. the name of the chapter : stri shiksha ke virodhi kurtako ka khandan
Answers
Answered by
59
स्त्री अगर शिक्षित होती है तो वह न केवल खुद शिक्षित होती है बल्कि अपने साथ-साथ अगली पीढ़ी को भी शिक्षित करती है।
लेखक ने बताया है कि जिन संस्कृत के आचार्य को स्त्रियां सम्मान करती है वहीं आचार्य अपने शास्त्र में उनका अपमान करते हैं क्योंकि संस्कृत के नाटकों में स्त्रियों को गंवार भाषा काम प्रयोग करते हुए दिखाया गया है।
पुराने दिनों में प्राकृत भाषा काम प्रयोग करने से गंवार समझा जाता था। जबकि प्राकृत भाषा बोलचाल की भाषा थी।
लेखक संस्कृत के आचार्य को चालाक कि संज्ञा देते हैं। जिन्होंने बहुत चालाकी से नाट्यशास्त्र की रचना की। खुद संस्कृत भाषा में बोलते थे और स्त्रियों से प्राकृत भाषा बोलवाते थे। मतलब जान बुझकर स्त्रियों को नीचा दिखाने का प्रयास किया गया है।
द्विवेदी जी ने प्राचीन काल के कुछ शिक्षित स्त्रियों के विदूषी होने का भी उदाहरण दिया। उनके अनुसार शिला, विज्जा जैसी स्त्रियां शिक्षित थी।
प्राचीन समय में नारी शिक्षा पर ज्यादा जोर नहीं दिया जाता था। लेकिन आज तो नारी शिक्षा बहुत आवश्यक है। स्त्रियां देश काल भविष्य है और भविष्य को अंधकारमय बनाने से सबकुछ अंधकार ही रहेगा। इसलिए स्त्री शिक्षा बेहद ज़रूरी है।
लेखक ने रूक्मणी काम भी उदाहरण दिया है कि जो लोग गीता कालोनी उदाहरण देते हैं वेद का उदाहरण देते हैं क्या उनको नही पता की रुक्मिणी ने भी श्री कृष्ण को पत्र लिखा था। यदि वह शिक्षित नहीं होती तो क्या वह पत्र लिखने में समर्थ होती।
स्त्री शिक्षा कार्यक्रम विरोध करने वाले खुद मुर्ख है क्योंकि स्त्री के प्रति ऐसी सोच रखने वाले किसी समाज में खड़े होने लायक नहीं।
लेखक ने बताया है कि जिन संस्कृत के आचार्य को स्त्रियां सम्मान करती है वहीं आचार्य अपने शास्त्र में उनका अपमान करते हैं क्योंकि संस्कृत के नाटकों में स्त्रियों को गंवार भाषा काम प्रयोग करते हुए दिखाया गया है।
पुराने दिनों में प्राकृत भाषा काम प्रयोग करने से गंवार समझा जाता था। जबकि प्राकृत भाषा बोलचाल की भाषा थी।
लेखक संस्कृत के आचार्य को चालाक कि संज्ञा देते हैं। जिन्होंने बहुत चालाकी से नाट्यशास्त्र की रचना की। खुद संस्कृत भाषा में बोलते थे और स्त्रियों से प्राकृत भाषा बोलवाते थे। मतलब जान बुझकर स्त्रियों को नीचा दिखाने का प्रयास किया गया है।
द्विवेदी जी ने प्राचीन काल के कुछ शिक्षित स्त्रियों के विदूषी होने का भी उदाहरण दिया। उनके अनुसार शिला, विज्जा जैसी स्त्रियां शिक्षित थी।
प्राचीन समय में नारी शिक्षा पर ज्यादा जोर नहीं दिया जाता था। लेकिन आज तो नारी शिक्षा बहुत आवश्यक है। स्त्रियां देश काल भविष्य है और भविष्य को अंधकारमय बनाने से सबकुछ अंधकार ही रहेगा। इसलिए स्त्री शिक्षा बेहद ज़रूरी है।
लेखक ने रूक्मणी काम भी उदाहरण दिया है कि जो लोग गीता कालोनी उदाहरण देते हैं वेद का उदाहरण देते हैं क्या उनको नही पता की रुक्मिणी ने भी श्री कृष्ण को पत्र लिखा था। यदि वह शिक्षित नहीं होती तो क्या वह पत्र लिखने में समर्थ होती।
स्त्री शिक्षा कार्यक्रम विरोध करने वाले खुद मुर्ख है क्योंकि स्त्री के प्रति ऐसी सोच रखने वाले किसी समाज में खड़े होने लायक नहीं।
Similar questions