Please give me summery of आत्मकथ्य class 10th please urgently
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आत्मकथ्य कविता जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित है। लेखक के मित्रों ने उनसे आत्मकथा लिखने का निवेदन किया था। उसी निवेदन के उत्तर में जयशंकर प्रसाद जी ने यह कविता लिखी थी। कवि कहते हैं कि- हर जीवन एक दिन मुरझाई पतीसा चढ़कर गिर जाता है इस अनंत संसार में जितने जीवन हैं उतनी ही उसकी कहानियां है। हर आत्मकथा में कुछ अच्छी बात होती है पर कवि कह रहे हैं कि मैं अपने जीवन कथा कैसे कहूं उसमें तो दुख ही दुख है।
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