please give me the meaning of this !!!
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कुसंग में बैठने वाली की खैर नहीं। अत्यंत चरित्रवान व्यक्ति भी ओछे के सान्निध्य में ओछा मान लिया जाता है। अतएव सदैव कुसंग से बचने का प्रयास करना चाहिए।
रहीम कहते हैं, ओछे के साथ अथवा कुसंगत में बैठकर कुशलता की कामना करना सर्वथा निरर्थक है। रहीम के मन में एक यही अफसोस है कि ओछे की संगत में ओछे का कुछ नहीं बिगड़ता जबकि चरित्रवान के मान की हानि होती है। समुद्र की महिमा से कौन अनभिज्ञ है। किंतु उसके पड़ोस में रावण ने लंका बसाई तो बदनामी समुद्र को झेलनी पड़ी। रावण के पड़ोस में उपस्थिति से उसकी महिमा ही घट गई।
नारायण
रहीम कहते हैं, ओछे के साथ अथवा कुसंगत में बैठकर कुशलता की कामना करना सर्वथा निरर्थक है। रहीम के मन में एक यही अफसोस है कि ओछे की संगत में ओछे का कुछ नहीं बिगड़ता जबकि चरित्रवान के मान की हानि होती है। समुद्र की महिमा से कौन अनभिज्ञ है। किंतु उसके पड़ोस में रावण ने लंका बसाई तो बदनामी समुद्र को झेलनी पड़ी। रावण के पड़ोस में उपस्थिति से उसकी महिमा ही घट गई।
नारायण
rehan778866khap56hzs:
thanks mate!!!
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