Hindi, asked by tyagi0157, 4 hours ago

please give right answer ​

Attachments:

Answers

Answered by adyav291105
1

Answer:

1) इंसानियत और नैतिकता खत्म होती जा रही है। व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए समाज को जाति और धर्म में बांटा जा रहा है। महिलाओं को जाति के बंधन में बांधा जा रहा है। महिलाएं कुछ आगे बढ़ी हैं लेकिन अभी स्थिति काफी खराब है। समाज के गरीब लोग जिस हाल में थे आज भी वहीं पे खड़े हैं या फिर और गरीब ही होते जा रहे हैं। आर्थिक न्याय ही सामाजिक न्याय का नींव है। आर्थिक न्याय के बिना हम सामाजिक न्याय की कल्पना भी नहीं कर सकते। यदि वास्तव में हम सामाजिक न्याय के पक्षधर हैं तो हमें आर्थिक न्याय को मजबूत बनाना ही होगा। शैक्षिक असमानता के कारण ही हम समाज में वंचित, उपेक्षित वर्ग की महिलाओं को अच्छी शिक्षा दे पाने में असफल साबित हो रहे हैं। हम जानते हैं कि शिक्षा के बिना किसी व्यक्ति, समाज या राष्ट्र का विकास हो ही नहीं सकता। शिक्षा ऐसी हो जो हमें सोचना सिखाए, क‌र्त्तव्य और अधिकार का बोध कराए, हमें हमारा ह़क दिलाए, समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदार बनाए। क्या आज हम समाज के सभी वर्ग की महिलाओं को शिक्षा दे पाने में सफल साबित हो रहे हैं, जो विचार का विषय है। क्षेत्रीय असमानता के कारण ही आज हम देश के विभिन्न भागों खासकर ग्रामीण क्षेत्रों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने में विफल साबित हो रहे हैं। वहीं, महिलाओं का शोषण रुकने का नाम नहीं ले रहा है। तमाम कार्यालयों में अगर एक महिला काम करती है तो पुरुष उसे पैनी नजर से देखते हैं। यही नहीं उसका उपहास भी उड़ाते हैं। क्या महिला को काम करने का अधिकार नहीं है। अगर वह काम कर सकती है तो उसका उपहास क्यों उड़ाया जाता है। इसके पीछे पुरुष वर्ग के लोग व कुछ कुंठित मानसिकता के लोगों की सोच है जिससे लोग उबर नहीं पा रहे हैं। महिलाएं तो हर क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं लेकिन अभी भी वे खुद असुरक्षित महसूस कर रही हैं। किसी विभाग में बेटियों को सुरक्षित तभी रखा जा सकता है, जहां का समाज समानभाव से सभी के साथ पेश आए। आज स्थिति ठीक इसके विपरीत हो गई है लोग बहन-बेटियों को इज्जत दे रहे हैं दूसरे की तरफ उपेक्षा की नजर रख रहे हैं। इस तरह की सोच लोगों को बदलनी होगी और महिलाओं को पुरुषों के समान स्थान देना होगा। हाल के दिनों में महिलाओं के साथ बलात्कार, छेड़छाड़, शोषण जैसे अपराधों में तेजी आई है। छोटे शहरों से लेकर बड़े शहरों में दर्ज होने वाले मामले सबूत पे

2) संदर्भ

हम जितनी तेज़ी से डिजिटल दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं, ठीक उतनी ही तेज़ी से साइबर अपराध की संख्या में भी वृद्धि हो रही है। जिस गति से तकनीक ने उन्नति की है, उसी गति से मनुष्य की इंटरनेट पर निर्भरता भी बढ़ी है। एक ही जगह पर बैठकर इंटरनेट के ज़रिये मनुष्य की पहुँच, विश्व के हर कोने तक आसान हुई है। आज के समय में हर वो चीज़ जिसके विषय में इंसान सोच सकता है, उस तक उसकी पहुँच इंटरनेट के माध्यम से हो सकती है, जैसे कि सोशल नेटवर्किंग, ऑनलाइन शॉपिंग, डेटा स्टोर करना, गेमिंग, ऑनलाइन स्टडी, ऑनलाइन जॉब इत्यादि। आज के समय में इंटरनेट का उपयोग लगभग हर क्षेत्र में किया जाता है। इंटरनेट के विकास और इसके संबंधित लाभों के साथ साइबर अपराधों की अवधारणा भी विकसित हुई है।

वर्तमान में भारत की बड़ी आबादी सोशल नेटवर्किंग साइट्स का उपयोग करती है। भारत में सोशल नेटवर्किंग साइट्स के उपयोग के प्रति लोगों में जानकारी का अभाव है। इसके साथ ही अधिकतर सोशल नेटवर्किंग साइट्स के सर्वर विदेश में हैं, जिससे भारत में साइबर अपराध घटित होने की स्थिति में इनकी जड़ तक पहुँच पाना कठिन होता है।

इस आलेख में साइबर अपराध, उसके प्रकार, बचाव के उपाय और सरकार के द्वारा किये गए प्रावधानों पर विमर्श किया जाएगा। इसके साथ ही साइबर अपराध में सोशल नेटवर्किंग साइट्स की भूमिका का भी मूल्यांकन किया जाएगा।

साइबर अपराध क्या है?

साइबर अपराध विभिन्न रूपों में किये जाते हैं। कुछ साल पहले, इंटरनेट के माध्यम से होने वाले अपराधों के बारे में जागरूकता का अभाव था। साइबर अपराधों के मामलों में भारत भी उन देशों से पीछे नहीं है, जहाँ साइबर अपराधों की घटनाओं की दर भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। साइबर अपराध के मामलों में एक साइबर अपराधी, किसी उपकरण का उपयोग, उपयोगकर्ता की व्यक्तिगत जानकारी, गोपनीय व्यावसायिक जानकारी, सरकारी जानकारी या किसी डिवाइस को अक्षम करने के लिये कर सकता है। उपरोक्त सूचनाओं को ऑनलाइन बेचना या खरीदना भी एक साइबर अपराध है।

इसमें कोई संशय नहीं है कि यह एक आपराधिक गतिविधि है, जिसे कंप्यूटर और इंटरनेट के उपयोग दइन ठगी का शिकार बनाते हैं।

hope it help u

Mark me Branilest

Similar questions