Hindi, asked by ritamodi435, 3 days ago

Please give the meaning of shlok in hindi

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Answered by vevergreen48
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Answer:

अर्थात तेरा कर्म करने में ही अधिकार है, उसके फलों में कभी नहीं। इसलिए तू फल की दृष्टि से कर्म मत कर और न ही ऐसा सोच की फल की आशा के बिना कर्म क्यों करूं

Explanation:

इस श्लोक में चार तत्त्व हैं – १. कर्म करना तेरे हाथ में है | २. कर्म का फल किसी और के हाथ में है |३. कर्म करते समय फल की इच्छा मत कर | ४. फल की इच्छा छोड़ने का यह अर्थ नहीं है की तू कर्म करना भी छोड़ दे |

यह सिद्धांत जितना उपयुक्त महाभारत काल में अर्थात अर्जुन के लिए था, उससे भी अधिक यह आज के युग में हैं क्योंकि जो व्यक्ति कर्म करते समय उस के फल पर अपना ध्यान लगाते ही वे प्रायः तनाव में रहते हैं | यही आज की स्थिति है। जो व्यक्ति कर्म को अपना कर्तव्य समझ कर करते हैं वे तनाव-मुक्त रहते हैं | ऐसे व्यक्ति फल न मिलने पंर निराश नहीं होते | तटस्थ भाव से कर्म करने करने वाले अपने कर्म को ही पुरस्कार समझते हैं| उन्हें उसी में शान्ति मिलती हैं |

इस श्लोक में एक प्रकार से कर्म करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। गीता के तीसरे अध्याय का नाम ही कर्म योग है| इस में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि निष्काम कर्म ही कर्मयोग की श्रेणी में आता है | निष्काम कर्म को भगवान यज्ञ का रूप देते हैं | चौथे अध्याय में कर्मों के भेद बताये गये हैं | इसके १६वें और १७वें श्लोक में श्रीकृष्ण ने कर्म, अकर्म और विकर्म की चर्चा की है| इसी आधार पर उन्होंने मनुष्यों की भी श्रेणियां बतायी हैं |

reference: pravatka.com

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