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इन पंक्तीयो में लेखिका ने बचपन का वर्णन किया हैं |
वो कहती हैं, 'हमे बचपन की मधुर याद आती हैं लेकिन जैसे हम बडे होते हैं हम छोटे नाही रहते और ना ही बचपन |
बचपन में हमे चोट लगणे पर हम रोते थे तो माँ हमारे आसुओ से गिले गालो को चुम चुम कर सुखा देती थी यानी हमे सांत्वना देती थी |'
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Hope it helps you dear.
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